बिहार में पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल, पुलिस सेवा में नहीं ली जा रही कानून सम्मत सेवाएं, एसपी ने पत्र लिखकर उठाया सवाल

By दीप्ती कुमारी | Updated: October 11, 2021 18:42 IST2021-10-11T18:35:26+5:302021-10-11T18:42:06+5:30

बिहार की पुलिस पर विपक्ष के साथ अब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी सवाल उठाने लगे हैं. बेतिया के एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने पुलिस मुख्यालय को एक पत्र लिखकर अनुशासनहीनता की शिकायत की है .

Questions are being raised on the working style of the police in Bihar, lawful services are not being taken in the police service, the SP raised the question by writing a letter | बिहार में पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल, पुलिस सेवा में नहीं ली जा रही कानून सम्मत सेवाएं, एसपी ने पत्र लिखकर उठाया सवाल

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsविपक्षी दलों के अलावे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने पुलिस मुख्यालय को एक पत्र लिखा ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पांच साल तक सशस्त्र बल में योगदान न देने को लेकर उठाया सवाल

पटनाबिहार में पुलिस की कार्यशैली पर अब विपक्षी दलों के अलावे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी सवाल उठाने लगे हैं. पिछले दिनों ट्रेनिंग में फेल हुए दारोगा को बडे पैमाने पर कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेवारी सौंपे जाने का मामला अभी ठंडा भी नही पड़ा था कि अब बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस कानून की धज्जियां उड़ाये जाने का मामला सामने आ गया है. जिस बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक का विरोध कर विपक्षी विधायक पुलिसवालों से पीट गए थे. आज उसी कानून के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार बेतिया के एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने पुलिस मुख्यालय को एक पत्र लिखकर कहा है कि मुख्यालय की ओर से जारी आदेशों का अनुपलान नहीं कर रहा है. एसपी ने लिखा है कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस एक्ट के मुताबिक महिला सिपाही या पुरुष सिपाही को ट्रेनिंग के बाद पांच साल तक सशस्त्र पुलिस में सेवा देनी है. लेकिन ऐसा नहीं हो है. ट्रेनिंग के बाद उन्हें किसी ना किसी थाना में या पुलिस ऑफिस में अटैच कर दिया जा रहा है, जो बेहद गलत है.

उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि 2015 बैच के बाद बहाल हुए सभी महिला और पुरुष सिपाहियों की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पांच साल तक सशस्त्र बल में योगदान देने को लेकर पुलिस मुख्यालय के तरफ से जारी आदेश का अनुपलान नहीं किया जा रहा है.  महिला और पुरुष सिपाहियों की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अगले 5 साल तक सशस्त्र बल में योगदान करवाया जाये. पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी आदेश का अनुपलान करवाया जाए.उल्लेखनीय है कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक सदन से पास होने के महज दस दिनों के अंदर पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी विंग, सभी जिला को यह आदेश जारी कर दिया था कि 2015 के बाद बिहार पुलिस सिपाही के स्तर पर जो भी भर्तियां होगी, उनके प्रशिक्षण के बाद चाहे वो महिला और पुरूष हो सभी के प्रशिक्षण पूरी होने के बाद अगले पांच वर्ष तक बिहार सशस्त्र पुलिस बल में अपना योगदान देंगे. लेकिन देखा यह जा रहा है कि इस आदेश की सभी जिलों में अवहेलना लगातार हो रही है.

यहां बता दें कि इसी विधेयक का विरोध करने पर बिहार विधानसभा में पुलिस ने विधायकों को पीटा था. विपक्ष के विधायक इस विधेयक के विरोध में थे. दरअसल, नीतीश सरकार ने बिहार मिलिट्री पुलिस यानि बीएमपी को विशेष सशस्त्र पुलिस में तब्दील करने का विधेयक लाया था. इसमें पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी के साथ साथ किसी की भी तलाशी लेने का पॉवर दिया गया है. इसका विरोध विपक्ष के द्वारा किया गया था. इसको लेकर बिहार विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा हुआ था और इतिहास में शायद पहली बार विपक्ष के विधायकों पर कार्रवाई के लिए बाहर से पुलिस को बुलाया गया था. इस दौरान जमकर मारपीट हुई थी और विधायकों को पुलिस के द्वारा पिटाई भी की गई थी.

Web Title: Questions are being raised on the working style of the police in Bihar, lawful services are not being taken in the police service, the SP raised the question by writing a letter

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