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पंजाब के मुक्तसर में भाजपा विधायक की प्रदर्शनकारी किसानों ने की पिटाई, कपड़े फाड़े

By भाषा | Updated: March 27, 2021 22:23 IST

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चंडीगढ़, 27 मार्च पंजाब में भाजपा के एक विधायक की शनिवार को मुक्तसर जिले के मलोट में किसानों के एक समूह द्वारा कथित रूप से पिटाई की गई और उनकी शर्ट फाड़ दी गई। यह जानकारी पुलिस ने दी।

अधिकारियों ने बताया कि जब अबोहर के विधायक अरुण नारंग स्थानीय नेताओं के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए मलोट पहुंचे तो प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया और उन पर काली स्याही फेंकी।

पुलिस ने बताया कि कुछ पुलिसकर्मी विधायक और स्थानीय नेताओं को एक दुकान में ले गए लेकिन बाद में जब वे इससे बाहर आए, तो प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर उनकी पिटाई की और नारंग के कपड़े फाड़ दिए।

अधिकारियों ने कहा कि नारंग को बाद में पुलिस ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

पुलिस उपाधीक्षक (मलोट) जसपाल सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी इस बात पर अड़े थे कि वे भाजपा विधायक को संवाददाता सम्मेलन नहीं करने देंगे। उन्होंने बताया कि इस घटना में एक पुलिस अधिकारी को मामूली चोट लगी है।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर विधायक को फटे कपड़ों में पुलिस द्वारा सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए दिखाया गया है।

बाद में, नारंग ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें ‘‘घूंसे मारे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत घूंसे मारे गए और मेरे कपड़े भी फाड़ दिए गए।’’

भाजपा विधायक ने कहा कि वह संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए मलोट गए थे लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसे होने नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्हें घेर लिया।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई शिकायत दर्ज कराई है, नारंग ने कहा कि वह इस मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व से बात करेंगे।

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान यूनियनों के निकाय, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा, ‘‘आज, किसानों ने अबोहर से भाजपा विधायक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रतिकूल परिस्थितियों में, यह हिंसक हो गया और विधायक पर हमला किया गया।’’

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘यह खेद की बात है कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ ऐसा व्यवहार किया गया। हम इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।’’

पाल ने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा सभी प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण और अनुशासित रहने की अपील करता है।

पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने इस घटना की निंदा की।

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि इस तरह के ‘‘गैरकानूनी व्यवहार’’ का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है और किसानों का प्रदर्शन इन घटनाओं से कमजोर होगा।

उन्होंने हमले को ‘‘अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार देते हुए कहा कि सभी को अपने विचार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए और प्रत्येक नागरिक को एक दूसरे के बोलने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि किसी को भी कानून और व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने इस घटना पर अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि इससे ‘‘यह उजागर हो गया है कि राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।’’

उन्होंने इस घटना को नारंग पर ‘‘जानलेवा हमला’’ करार देते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस पर इसका षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि अमरिंदर सिंह ‘‘भाजपा की आवाज़ को दबाने के लिए इस तरह के हमलों को भड़का रहे हैं।’’ चुग ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की।

शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने नारंग पर ‘‘हिंसक हमले’’ की निंदा की और एक निर्वाचित प्रतिनिधि की रक्षा करने में पुलिस की "विफलता" के लिए जिम्मेदारी तय करने के लिए एक निष्पक्ष जांच की मांग की।

उन्होंने सभी से संयम बरतने की अपील की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव में खलल न पड़े।

शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने घटना को ‘‘पीड़ादायक’’ बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।

विशेष रूप से, भाजपा नेताओं को राज्य में पिछले कई महीनों से किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। आंदोलनकारी किसान कृषि कानूनों के मुद्दे पर राज्य में भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध कर रहे हैं।

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ लगती दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर से हजारों किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और उन्हें कार्पोरेट की दया पर छोड़ देंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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