नागपुर: डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानतल के निजीकरण के लिए अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जानी है लेकिन इसके लिए कंसल्टेंट ही नियुक्त नहीं हो पाया है. एमआईएल द्वारा जीएमआर की बोली रद्द किए जाने के बाद अपेक्षा जताई जा रही थी कि निजीकरण के लिए अब दोबारा तेजी से निविदा प्रक्रिया की शुरुआत होगी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो पाया है.
एयरपोर्ट संचालन के लिए तीसरे भागीदार की राह तकते हुए 10 साल बाद 2019 में जीएमआर कंपनी की अंतिम बोली पर मुहर लगी थी लेकिन ये रद्द कर दी गई. जीएमआर ने उस वक्त मुनाफे में 5.76 प्रतिशत भागीदारी की बोली लगाई थी. हिस्सेदारी के इतने कम प्रतिशत को लेकर पनपे असंतोष के बाद कंपनी ने इसे बढ़ाकर करीब 15 फीसदी किया था.
इसके बाद 2020 की शुरुआत में एयरपोर्ट का संचालन कर रही मिहान इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) ने मुनाफा इस भागीदारी से ज्यादा पाया. इसी आधार पर जीएमआर की बोली रद्द कर दी गई.
क्या था पुराना टेंडर
डेवलपर को 64000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल (64 हेक्टेयर) की एक नई टर्मिनल इमारत, 4000 मीटर (चार कि.मी.) का एक नया रन-वे, टैक्सी-वे, 20 हजार टन क्षमता का माल गोदाम, एप्रॉन्स, पार्किंग बेज, एटीसी टॉवर, फायर स्टेशन बनाना था.
-परियोजना का अनुमानित खर्च 1685 करोड़ रुपए था. विमानतल से मिलने वाले राजस्व से एमआईएल को 5.76 करोड़ रुपए का हिस्सा अगले 30 वर्ष देना.
30 वर्ष के बाद पुन:
30 वर्ष के लिए करार का नवीनीकरण करने का प्रावधान. -250 एकड़ जगह पर संकुल, शॉपिंग मॉल, कन्वेन्शन सेंटर, पांचसितारा होटल्स, फूड प्लाजा, मनोरंजन क्षेत्र आदि स्थापित करने का अधिकार भी जीएमआर को मिलना था. जोड़ है---