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#MeToo:एमजे अकबर मामले में कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी को किया तलब, बोलीं- 'वक्त आ गया है अब अपने हिस्से की कहानी सुनाने का'

By पल्लवी कुमारी | Updated: January 30, 2019 19:42 IST

 एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी के अलावा यूके बेस्ड पत्रकार रुथ डेविड, यूएस बेस्ड पत्रकार डीपी कांप , सबा नकवी,  संपादक गज़ाला वहाब, सुतापा पॉल,  शुमा राहा,  फ्रीलांस जर्नलिस्ट कनिका गहलोत, प्रेरणा सिंह बिंद्रा, कादंबरी वेड, सुपर्णा शर्मा सहित तकरीबन 20 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

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''अब वक्त आ गया है अपने हिस्से की कहानी सुनाने का'' ये लाइन #Metoo मूवमेंट के तहत पत्रकार प्रिया रमानी ने ट्वीट किया है। पत्रकार प्रिया रमानी ने यह प्रतिक्रिया दिल्ली की एक कोर्ट में पेश होने के आदेश के बाद दिया है। बता दें कि अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को एक आरोपी के तौर पर तलब किया था। जिसके बाद 29 फरवरी को प्रिया रमानी कोर्ट में पेश हुईं थी। मी टू अभियान के दौरान प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने तकरीबन 20 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था। इन आरोपों का अकबर ने खंडन किया था।

प्रिया रमानी ने एक खबर को ट्वीट करते हुए ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'Time to tell our side of the story'(अब वक्त आ गया है अपने हिस्से की कहानी सुनाने का)।

दिल्ली कोर्ट ने 23 पन्नों के आदेश में कही ये बात 

दिल्ली की कोर्ट ने देखा कि एमजे अकबर के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति 'प्रथम दृष्टया मानहानिकारक' है और उन्होंने सभी आरोपों को 'गलत और काल्पनिक' बताया है। इसके बाद कोर्ट ने प्रिया रमानी को 25 फरवरी को अपने समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने पीटीआई को कहा, ''प्रतिवादी के आरोप प्रथम दृष्टया अपमानजनक हैं और शिकायतकर्ता की ओर इशारा करते हैं, इसलिए वह व्यथित व्यक्ति हैं...यह शिकायत दर्ज कराने के लिहाज से। उन्होंने प्रतिवादी द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत एवं मनगढ़ंत बताया है।''

दिल्ली कोर्ट ने 23 पन्नों के आदेश में कहा, ''ये मानहानिकारक हैं, व्यापक स्तर पर पढ़े गए हैं और खासकर गवाहों द्वारा जिन्होंने गवाही दी है कि उनके हिसाब से शिकायतकर्ता की साख गिरी है।” 

अदालत ने कहा, “फिलहाल अदालत के पास केवल शिकायतकर्ता का बयान है जिन्होंने अदालत में शपथ लेते हुए कहा कि सभी आरोप गलत हैं और बाद में अपने निर्दोष एवं बेदाग साख को प्रमाणित करने के लिए गवाह लेकर आए।” 

अदालत ने कहा कि अकबर द्वारा लाए गए गवाहों ने भी साबित किया है कि उनके अनुमान से शिकायतकर्ता की साख गिरी है। अकबर से जुड़े तीन प्रत्यक्षदर्शियों - तपन चाकी, मंजर अली और रचना ग्रोवर ने अदालत के समक्ष गवाही दी कि वे बहुत अधिक 'निराश एवं व्यथित' हैं क्योंकि आरोपों के चलते उनकी साख को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। अदालत ने मामले में संडे गार्डियन की संपादक जोयिता बसु और अकबर के भी बयान दर्ज किए थे।

अदालत ने पाया कि आरोपी को तलब करने के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अकबर और उनकी तरफ से पेश हुए गवाहों से पूछताछ कर जांच सही तरीके से की गई। 

उसने कहा, “प्रतिवादी प्रिया रमानी द्वारा शिकायतकर्ता की मानहानि करने का अपराध हुआ, प्रथम दृष्टया यह मानने के लिए सभी जरूरी बातें रिकॉर्ड में मौजूद हैं और इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।” 

अदालत ने कहा, “इसी के अनुसार प्रिया रमानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत मानहानि का अपराध करने के लिए 25 फरवरी, 2019 को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए तलब किया जा रहा है।” 

अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा एवं अधिवक्ता संदीप कपूर ने अदालत को बताया कि लेख में लगाए गए आरोप एवं बाद में किए ट्वीट मानहानिकारक हैं। यौन शोषण में नाम उछलने के बाद अकबर ने पिछले साल 17 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था।

इस्तीफा के बाद एमजे अकबर का बयान 

एमजे अकबर ने इस्तीफे के बाद बयान दिया था- ''चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं। मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। इसलिए अत मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं''। 

तकरीबन 20 महिलाओं ने अकबर के खिलाफ लगाए यौन शोषण के आरोप 

 एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी के अलावा यूके बेस्ड पत्रकार रुथ डेविड, यूएस बेस्ड पत्रकार डीपी कांप , सबा नकवी,  संपादक गज़ाला वहाब, सुतापा पॉल,  शुमा राहा,  फ्रीलांस जर्नलिस्ट कनिका गहलोत, प्रेरणा सिंह बिंद्रा, कादंबरी वेड, सुपर्णा शर्मा सहित तकरीबन 20 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

1989 से राजनीति में एमजे अकबर 

एम जे अकबर ने एशियन ऐज, द टेलीग्राफ और पत्रिका संडे जैसी बड़ी मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। अकबर 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से अकबर बीजेपी में शामिल हो गए थे। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री थे। (पीटीआई इनपुट के साथ)

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