Article 370: खामोशी के साथ पीएम मोदी ने अपने सिपहसालार अमित शाह को लेने दिया पूरा श्रेय!
By हरीश गुप्ता | Published: August 9, 2019 05:51 AM2019-08-09T05:51:13+5:302019-08-09T07:45:15+5:30
लोकसभा में जब जम्मू-कश्मीर के संबंध में एतिहासिक विधेयक पारित किया जा रहा था,उस समय सत्तापक्ष के सभी सांसद और केन्द्रीय मंत्री जहां अत्यधिक उल्लास में खुशी का इजहार करते हुए अपनी मेजें थपथपा रहे थे...
लोकसभा में जब जम्मू-कश्मीर के संबंध में एतिहासिक विधेयक पारित किया जा रहा था,उस समय सत्तापक्ष के सभी सांसद और केन्द्रीय मंत्री जहां अत्यधिक उल्लास में खुशी का इजहार करते हुए अपनी मेजें थपथपा रहे थे वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके विपरीत खामोश रवैये का प्रदर्शन किया. उन्होने एक बार भी अपने मंत्री का उत्साहवर्धन करने के लिए न तो मेज थपथपाई और न ही उनकी चिरपरिचित मुस्कुराहट ही उनके चेहरे पर नजर आई.
पीएम के इस अप्रत्याशित रवैये के पीछे छिपा राज अब जाकर सामने आया है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार दरअसल उन्होने ऐसा रवैया इस लिए अपनाया ताकि उनके सबसे भरोसेमंद सिपहसालार इस ऐतिहासिक मौके का पूरा श्रेय हासिल कर पाएं. इसी लिए इस अहम मौके के लिए उन्होने अपने करीबी सहयोगी को 'फ्रंट फुट ' पर खेलने का अवसर उपलब्ध करवाया. सोमवार को सुबह 7, लोकमान्य मार्ग पर जब कैबिनेट की बैठक हुई थी तो उस समय भी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों में इस बात को लेकर आश्चर्य का भाव था कि हमेशा मुस्कुराते नजर आने वाले पीएम के चेहरे पर वह मुस्कान पूरे समय नदारद थी.
राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद मंगलवार की शाम को जब लोकसभा में यह विधेयक पारित होने के अंतिम चरण में था,उसी दौरान प्रधानमंत्री ने सदन में प्रवेश किया और 370 सांसदों ने खड़े होकर हर्षनाद कर उनका अभिवादन किया लेकिन पीएम ने न तो इसका प्रत्युत्तर दिया और न ही इस ऐतिहासिक अवसर के तुमुलनाद में सहभागी हुए. गृहमंत्री अमित शाह जब सदस्यों के लगातार उत्साहवधर्धन के बीच सदन में भाषण कर रहे थे उस दौरान प्रधानमंत्री ने यह अहसास करवाया कि वह तनाव में हैं.
ऐतिहासिक अवसर होने के बावजूद उनका यह रवैया अन्य नेताओं को हैरत में डालने वाला था. इसी सदन में जब वित्तमंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण पिछले महीने केन्द्रीय बजट पेश कर रही थीं या जिस समय ऐतिहासिक जीएसटी विधेयक पारित किया जा रहा था उस समय प्रधानमंत्री का उत्साह देखने लायक था. उन्होने सैकड़ों बार अपने सामने की मेज थपथपाकर खुशी जाहिर की थी लेकिन इस बार तो एक बार भी ऐसा नहीं किया. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार मोदी संसद के इसी सत्र में कश्मीर पर विधेयक पारित करवाना चाहते थे इसी लिए उन्होने सत्रावधि दस दिन बढ़वाने की पहल की
पूरी फील्डिंग जमाने के बाद उन्होने इस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मामले में अपने सबसे करीबी सहयोगी शाह को पूरी तरह से खुलकर खेलने का मौका इस तरह दिया कि सारा श्रेय उन्ही के खाते में जाए. यह भी एक तथ्य है कि विधेयक लाने का फैसला केन्द्रीय मंत्रिपरिषद ने नहीं बल्कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सी सी एस)ने लिया. प्रधानमंत्री सीसीएस की बैठक से सीधे अमित शाह के साथ मंत्रिपरिषद की बैठक में आए और इस बारे में सीधे घोषणा की जिसका सारे मंत्रियों ने हर्षध्वनि के साथ स्वागत किया.इसका प्रस्ताव न तो कैबिनेट में अनुमोदन के लिए आया और न ही इस बारे में में कोई दस्तावेज अथवा सूचना मंत्रियों में वितरित की गई.