पिछली सरकारों ने परंपरागत उद्योगों की अनदेखी कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह की : सिद्धार्थनाथ

By भाषा | Updated: December 7, 2021 21:28 IST2021-12-07T21:28:26+5:302021-12-07T21:28:26+5:30

Previous governments destroyed rural economy by ignoring traditional industries: Siddharth Nath | पिछली सरकारों ने परंपरागत उद्योगों की अनदेखी कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह की : सिद्धार्थनाथ

पिछली सरकारों ने परंपरागत उद्योगों की अनदेखी कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह की : सिद्धार्थनाथ

लखनऊ, सात दिसंबर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को आरोप लगया कि पहले कि सरकारों ने प्रदेश के परंपरागत उद्योगों की अनदेखी कर यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह कर दी थी।

उन्होंने कहा कि स्थिति यह बन गयी की जिन सीटों से समाजवादी पार्टी के मुखिया और उनके परिवार के लोग सांसद और विधायक चुने जाते थे और सत्ता पर काबिज होते थे, वहां के भी परंपरागत उद्योग बर्बादी की कगार पर आ गये थे। कन्नौज का विश्व प्रसिद्ध इत्र इसका एक बड़ा उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद परंपरागत उद्योगों को दोबारा जीवित करने का काम शुरू हुआ और आज स्थिति यह है कि प्रदेश के निर्यात में 80 प्रतिशत योगदान परंपरागत उत्पादों का है।

भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर “फर्क साफ है” कार्यक्रम के तहत आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री सिंह ने कहा कि 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी, तब इस बात पर विचार किया गया कि ग्राम स्वराज की परिकल्पना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसी हो और समकालीन आर्थिक मॉडल कैसा होना चाहिए। इस पर भाजपा सरकार ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम किया और एक नीति बनाई।

उन्होंने कहा कि जब हमने ग्राम स्वराज और आर्थिक मॉडल का संगम किया तब उसमें से ‘योगी आर्थिक मॉडल’ निकलकर सामने आया। इसी योगी मॉडल का नतीजा है कि जब हम सत्ता में आये थे तब उस समय बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत थी जो आज 2021 में घटकर पांच फीसदी रह गयी है।

उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों पर ध्यान देना शुरू किया गया। हमने ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना (ओडीपीओ)शुरू की और आज हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि इस योजना की चर्चा सिर्फ देश में ही नहीं पूरे विश्व में हो रही है।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि 2017 में जो निर्यात 88 हजार 967 करोड़ रुपये था वो 2019-20 में बढ़कर एक लाख 20 हजार 367 करोड़ का हो गया।

एक बयान में कैबिनेट मंत्री ने कहा कि ओडीओपी के तहत हमने परंपरागत उद्योगों से जुड़े कारीगरों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिलवाया बल्कि उनके उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के साथ ही उनको बाजार भी उपलब्ध कराया। आज हमारे ओडीओपी उत्पादों की पूरे विश्व में जबरदस्त मांग है। हमारे निर्यात में 80 प्रतिशत योगदान ओडीओपी उत्पादों का है।

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