Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव से पहले सीएम ममता ने बुलाई बैठक, 17 दल शामिल, बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर चर्चा!

By सतीश कुमार सिंह | Published: June 15, 2022 04:10 PM2022-06-15T16:10:49+5:302022-06-15T16:40:11+5:30

Presidential Election 2022: बैठक में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजू जनता दल (बीजद), आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेताओं के शामिल होने की संभावना नहीं है।

Presidential Election 2022 Opposition leaders' meeting TMC West Bengal CM Mamata Banerjee 17 party congress | Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव से पहले सीएम ममता ने बुलाई बैठक, 17 दल शामिल, बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर चर्चा!

टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई।

Highlightsपश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से संपर्क किया है।गोपाल गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार थे।राकांपा प्रमुख शरद पवार से उनके आवास पर अलग-अलग मुलाकात की।

Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव से पहले टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई। बैठक में कम से कम 17 दल शामिल हुए। यह बैठक कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में हो रहा है। 

टीएमसी के अलावा कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआईएमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, RJD, एसपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, JD(S), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और JMM पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी के द्वारा राष्ट्रपति चुनाव से पहले बुलाई गई बैठक में शामिल हुए।

राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा बुलाई विपक्षी दलों की एक अहम बैठक में कम से कम 17 राजनीतिक दलों के नेता शरीक हुए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों के नेता बैठक में शरीक हुए, जबकि आम आदमी पार्टी (आप), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और बीजू जनता दल (बीजद) इससे दूर रहें।

शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडपी) जद(से), आरएसपी, आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी बैठक में शरीक हुए। यह बैठक, राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाना प्रारंभ होने के दिन हुई है।

राकांपा के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, जनता दल (सेक्युलर) के एच डी देवगौड़ा और एस डी कुमार स्वामी, सपा के अखिलेश यादव, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेकां के उमर अब्दुल्ला बैठक में शरीक हुए प्रमुख नेताओं में शामिल थे।

राष्ट्रीय राजधानी के कॉंस्टी्यूशन क्लब में हुई बैठक से आप, टीआरएस, बीजद के अलावा शिरोमणि अकाली दल ने दूरी बनाई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते सात मुख्यमंत्रियों सहित 19 दलों के नेताओं को राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था, ताकि 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच एक संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति बन सके। बैठक से एक दिन पहले, ममता और वाम दलों के नेताओं ने राकांपा प्रमुख से उनके आवास पर अलग-अलग मुलाकात की थी, ताकि उन्हें शीर्ष संवैधानिक पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनने के लिए मनाया जा सके।

विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार पेश करने की कवायद के बीच कुछ नेताओं ने संभावित विकल्प के तौर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से संपर्क किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार थे। हालांकि, वह चुनाव में एम वेंकैया नायडू से हार गए थे।

सूत्रों ने बताया कि कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने गांधी से फोन पर बात की और उनसे राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के अनुरोध पर विचार करने का आग्रह किया। सूत्रों के मुताबिक, कुछ अन्य नामों पर भी विचार किया जा रहा है और विपक्षी नेताओं ने उनकी सहमति लेने के लिए उनसे भी संपर्क किया है।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे गोपाल कृष्ण गांधी ने इन नेताओं से बुधवार तक का समय मांगा है। गांधी से संपर्क करने वाले नेताओं ने बताया कि इस अनुरोध पर उनकी शुरुआती प्रतिक्रिया ‘‘सकारात्मक’’ रही है। पूर्व नौकरशाह गांधी (77) ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह महात्मा गांधी के पोते हैं।

(इनपुट एजेंसी)

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