आइजोल, 24 दिसंबर ईसाई बहुल पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में क्रिसमस समारोह के 150वें साल की तैयारियां हो रही हैं।
इस राज्य में पहली बार यह उत्सव आक्रमणकारी ब्रिटिश सैनिकों ने 1871 में तुईवेई नदी के किनारे मनाया था। क्रिसमस समारोह के दौरान मिजो योद्धाओं ने उनपर हमला कर दिया था।
राज्य में एक साल के अंतराल के बाद क्रिसमस का उत्सव मनाया जा रहा है। इस बार कोविड-19 के मद्देनजर सादगी के साथ इसे मनाए जाने की संभावना है चर्च और सड़कों पर सामूहिक तौर पर कैरोल गायन पर प्रतिबंध है। बहरहाल, प्रतिबंधों के बावजूद राज्य में क्रिसमस और नव वर्ष की रौनक देखी जा सकती है। त्योहार के गीतों की आवाजें लोगों के घरों से आ रही हैं और लोग ‘क्रिसमस ट्री’ रोशनियों से सजा रहे हैं।
कई गैर सरकारी संगठन, राजनीतिक पार्टियां और चर्च अनाथालयों, कारागारों, पुनर्वास केंद्रों और अस्पतालों में लोगों को उपहार देने के लिए दान जमा कर रहे हैं। आइजोल से बाहर के वैसे चर्च और अन्य प्रार्थना स्थल 22 अगस्त को खोल दिए गए थे, जहां कस्बों और गांवों में कोविड-19 के मामले नहीं हैं। वहीं कोरोना वायरस से प्रभावित आइजोल समेत राज्य के अन्य इलाकों में भी चर्च और अन्य प्रार्थना स्थल दो अक्टूबर को खोले गए।
आइजोल को छोड़कर बाकी अन्य जिला उपायुक्तों को यह अधिकार दिया गया है कि वे स्थिति के अनुसार अलग दिशा-निर्देश बना सकते हैं। राज्य सरकार ने पटाखें फोड़ने, आकाशीय दीपों और छर्रों वाले खिलौना बंदूकों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
राज्य में क्रिसमस का उत्सव धार्मिक और पारंपरिक पुट के साथ मनाया जाता है। बुधवार को राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति और मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने राज्य की जनता को क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामाएं दीं।
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