सीतामढ़ी: चुनाव रणनीतिकार से सामाजिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने सोमवार को जोर देकर कहा कि बिहार की सियासत में हुए हालिया उथल-पुथल “बिहार केंद्रित” घटना थी और इसके राष्ट्रव्यापी असर पड़ने की संभावना नहीं है। प्रशांत किशोर का इशारा हाल ही में जदयू-भाजपा के बीच टूटन और जदयू-राजद के महागठंबधन सरकार बनने की घटनाक्रम पर था।
प्रशांत किशोर ने यह बात उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले में पत्रकारों से बात करते हुए कही। किशोर ने अपने बयान में यह भी दावा किया कि भाजपा के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बागी रुख “राजनीतिक अस्थिरता” का प्रतीक है, जिसका सामना बिहार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “नई भाजपा” के उदय के बाद से कर रहा है।
किशोर ने तंज के साथ कहा, “हम केवल एक बात निश्चित रूप से कह सकते हैं कि देश में कुछ भी हो, बिहार में नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज रहेंगे जैसे कि वह इतने वर्षों से करते आ रहे हैं।”
पत्रकारों के बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “मैं आपको लिखित रूप में बता सकता हूं कि बिहार में वर्ष 2025 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में एक और बदलाव देखने को मिलेगा। अभी हमें नहीं पता कि कौन सी पार्टी या नेता किस तरफ रहेगा। लेकिन मौजूदा सियासत की तस्वीर 2025 तक जरूर बदलेगी।”
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार द्वारा विपक्षी एकता के लिए तीन दिवसीय दिल्ली यात्रा की यात्रा को ज्यादा तवज्जो न देते हुए कहा, “उन्हें बिहार की जनता ने जनादेश दिया है और उनकी प्राथमिकता बिहार की जनता और उनका विकास होना चाहिए। बिहार में बीते दिनों जो कुछ भी हुआ, वह केवल राज्य तक सीमित है, उसके केंद्र की राजनीति या राष्ट्रव्यापी बदलाव से कोई मतलब नहीं है।”
मालूम हो कि चार साल पहले प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए थे और नीतीश कुमार ने उन्हें कुछ ही सप्ताह में जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था, लेकिन सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद के कारण नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच कुछ इस तरह से मतभेद उभरे कि नीतीश कुमार ने उन्हें दो साल से भी कम समय में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)