नये कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए संभावित रूप से जिम्मेदार क्षेत्रों की पहचान की गयी
By भाषा | Published: June 3, 2021 03:41 PM2021-06-03T15:41:54+5:302021-06-03T15:41:54+5:30
नयी दिल्ली, तीन जून मानव बस्तियां बसने से, खेतों के विस्तार से और मवेशियों की संख्या बढ़ाने के लिए वैश्विक रूप से भूमि उपयोग में बदलाव की बजह से कोरोना वायरस वाहक चमगादड़ों के लिए अनुकूल स्थान विकसित हो रहे हैं जहां इस स्तनधारी प्राणी से मनुष्य में संक्रमण फैलने की संभावना अधिक होती हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
कोविड-19 को फैलाने वाले सार्स-सीओवी-2 वायरस की उत्पत्ति का मूल कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि जब हॉर्सशू चमगादड़ को संक्रमित करने वाला वायरस मनुष्यों में पहुंचने लगा, तब यह महामारी सामने आई।
हो सकता है कि ऐसा वन्यजीवों के मनुष्यों से सीधे संपर्क होने की वजह से हुआ हो या पहले पैंगोलिन जैसे किसी जीव के संक्रमित होने के बाद परोक्ष रूप से फैलने से हुआ हो ।
माना जाता है कि चमगादड़ की हॉर्सशू प्रजाति कई तरह के कोरोना वायरस से ग्रस्त हो सकती है जिसमें कोविड-19 तथा अति गंभीर श्वसन विकास (सार्स) के लिए जिम्मेदार वायरस जैसे स्वरूप भी हो सकते हैं।
पत्रिका ‘नेचर फूड’ में प्रकाशित नये अध्ययन में पश्चिमी यूरोप से दक्षिण पूर्व एशिया तक फैले चमगादड़ के पर्यावास वाले क्षेत्रों में भूमि उपयोग के तरीकों का विश्लेषण किया गया।
अनुसंधानकर्ताओं ने वनों की कटाई, मानव बस्तियों के बसने और खेती तथा पशु उत्पादों आदि का विश्लेषण किया और इनकी तुलना चमगादड़ के रहने वाले क्षेत्रों से की।
इससे विश्लेषकों ने उन स्थानों का पता लगाया जो चमगादड़ की इस प्रजाति के रहने के लिए अनुकूल होते हैं और जहां ये वायरस चमगादड़ों से मनुष्य में पहुंच सकते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इनमें से अधिकतर ऐसे क्षेत्र चीन में हैं जहां मांसाहार वाले उत्पादों की बढ़ती मांग की वजह से पशुधन फार्मिंग बड़े स्तर पर की जा रही है।
अमेरिका के बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर तथा अध्ययन में शामिल रहे पाओलो डी'ओडोरिको ने कहा, ‘‘भूमि उपयोग में बदलाव का मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसकी दो वजहें हो सकती हैं, एक तो हम पर्यावरण को बदल रहे हैं और दूसरा, इससे हमें पशुजनित बीमारियों से ग्रस्त होने का जोखिम होता है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।