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Article 370: कश्मीर में 70 दिनों बाद पोस्टपैड मोबाइल सर्विस शुरू, बीस लाख प्रीपेड मोबाइल फोन व इंटरनेट पर पाबंदी रहेगी जारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 14, 2019 12:06 IST

जम्मू में संचार सेवाएं प्रतिबंध के कुछ दिनों के भीतर ही बहाल कर दी गई थी और मोबाइल इंटरनेट अगस्त के मध्य में चालू किया गया था लेकिन इसके दुरुपयोग के बाद मोबाइल फोनों पर इंटरनेट सेवा 18 अगस्त को बंद कर दी गई थी।

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ठळक मुद्देसरकार ने कहा कि यह फैसला कश्मीर प्रांत के सभी 10 जिलों के लिए है।मोबाइल फोन सेवाएं शनिवार को बहाल होनी थी लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ तकनीकी दिक्कत आने के कारण इसे टाल दिया गया।

कश्मीर घाटी में लगातार 70 दिन से लगी पाबंदियों में बड़ी ढील देते हुए जम्मू्-कश्मीर प्रशासन करीब 40 लाख पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं आज से बहाल कर दी है। केन्द्र सरकार द्वारा पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने के बाद से ही घाटी में पाबंदियां जारी हैं। दो नए केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर से सृजित हो जाएंगे।

शनिवार को राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा था, ‘‘जम्मू कश्मीर में हालात की समीक्षा करने के बाद प्रदेश के सभी बाकी इलाकों में मोबाइल फोन सेवाएं बहाल करने का फैसला लिया गया।’’ 

कंसल ने कहा कि यह फैसला कश्मीर प्रांत के सभी 10 जिलों के लिए है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद लागू की गई पाबंदियों को खत्म करने के लिए हाल के हफ्तों में उठाए गए कदमों के सिलसिले में यह घोषणा की गई। राज्य को दो दिन पहले पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। शैक्षिक संस्थान भी खोल दिए गए लेकिन छात्रों की उपस्थिति न के बराबर है। मोबाइल फोन सेवाएं बंद होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतें हुई और इसे बहाल करने का एलान संपर्क अवरुद्ध खत्म करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

कंसल ने कहा, ‘‘इस घोषणा से पर्यटक फोन संपर्क के अभाव के बिना राज्य की यात्रा कर सकेंगे, छात्र स्कूल जाते समय माता-पिता के संपर्क में रह सकेंगे, कारोबारी उपभोक्ताओं के संपर्क में रह सकेंगे, ट्रांसपोर्टर ग्राहकों के संपर्क में रह सकेंगे और ठेकेदार अपने कर्मचारियों के संपर्क में रह सकेंगे।’’

उन्होंने बताया, ‘‘पर्यटकों का राज्य में स्वागत है। पर्यटकों की मदद के लिए पर्यटक स्थलों पर इंटरनेट सेवाएं बहाल की जा रही हैं।’’ कंसल से यह भी पूछा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत नेता और कार्यकर्ता कब रिहा किए जाएंगे। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर जोर देता रहा हूं और यह बता रहा हूं कि पांच अगस्त के बाद के घटनाक्रमों और सुरक्षा का मुआयना करने के बाद कुछ कदमों की जरूरत हुई जिनमें नेताओं को हिरासत में लेना शामिल था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद स्थानीय स्तर पर ये फैसले लिए। हिरासत की लगातार समीक्षा की गई और अगर कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया तो कुछ लोगों को रिहा भी किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह गतिशील प्रक्रिया है। सुरक्षा हालात का गतिशील तरीके से मुआयना किया जाता रहेगा। यह प्रक्रिया चलती रहेगी।’’

मोबाइल फोन सेवाएं शनिवार को बहाल होनी थी लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ तकनीकी दिक्कत आने के कारण इसे टाल दिया गया। आंशिक रूप से 17 अगस्त को लैंडलाइन सेवाएं बहाल की गईं थीं और चार सितम्बर को इसे पूरी तरह बहाल कर दिया गया था। इसके साथ ही करीब 50,000 लैंडलाइन सेवाएं बहाल हो गयी थीं।

जम्मू में संचार सेवाएं प्रतिबंध के कुछ दिनों के भीतर ही बहाल कर दी गई थी और मोबाइल इंटरनेट अगस्त के मध्य में चालू किया गया था लेकिन इसके दुरुपयोग के बाद मोबाइल फोनों पर इंटरनेट सेवा 18 अगस्त को बंद कर दी गई थी। कंसल ने उद्योगपतियों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, दुकानदारों, होटल मालिकों और ठेकेदारों से आतंकवादियों तथा अलगाववादियों की धमकियों से न डरने तथा आम दिनचर्या बनाए रखने की अपील की है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सरकार अपने इस संकल्प पर कायम है कि इन अशांत तत्वों की कोशिशें नाकाम कर दी जाएंगी।

सरकार ने शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग और मदद के लिए राज्य के लोगों का आभार जताया।’’ कंसल ने बताया कि 16 अगस्त के बाद से पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी गई और सितंबर के पहले सप्ताह तक ज्यादातर पाबंदियां हटा ली गईं। उन्होंने कहा, ‘‘8 से 10 पुलिस थानों को छोड़कर आवाजाही पर पाबंदियां पूरी तरह हटा ली गई हैं।’’

उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को शांति भंग करने तथा हिंसा भड़काने से रोकने के लिए मोबाइल सेवाएं बंद की गई थीं। कंसल ने बताया कि पूर्व में तथा पिछले दो महीनों में लोगों के बीच आतंक और डर फैलाने तथा राज्य को अशांत हालात में रखने के लिए सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने की लगातार कोशिशें की गई। उन्होंने बताया कि विश्वस्त सूचनाएं मिली थी कि भारत से द्वेष रखने वाली और उसकी सीमाओं के बाहर की ताकतें बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले कर सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इन आतंकवादी हमलों का मकसद केवल जान-माल को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाना नहीं था बल्कि राज्य के लोगों के बीच डर और आतंक का माहौल पैदा करना था।’’ उन्होंने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित संगठन राज्य के लोगों में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। कंसल ने बताया कि इसे भांपते हुए पाबंदियां लागू की गई ताकि बाहर से पोषित आतंकवाद लोगों की जान न ले सकें। इन कदमों से यह सुनिश्चित किया गया कि अनावश्यक रूप से लोगों की जान न जाए। 

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