बिहार में नगर निकाय चुनाव पर गरमाई सियासत, चुनाव की घोषणा के बाद भी फंसे हैं कई पेंच

By एस पी सिन्हा | Published: December 1, 2022 05:20 PM2022-12-01T17:20:42+5:302022-12-01T17:22:32+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के अति पिछड़ा आयोग के गठन पर सवाल खड़े किये हैं। इसे लेकर कई विवाद सामने आने लगे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस ऐलान के बाद अब बिहार कि राजनीति में इस ठंड के मौसम में भी गर्माहट आ गई है।

Politics heats up on municipal elections in Bihar even after the announcement of elections many screws are stuck | बिहार में नगर निकाय चुनाव पर गरमाई सियासत, चुनाव की घोषणा के बाद भी फंसे हैं कई पेंच

बिहार में नगर निकाय चुनाव पर गरमाई सियासत, चुनाव की घोषणा के बाद भी फंसे हैं कई पेंच

Highlightsबिहार निकाय चुनाव का बिगुल एक बार फिर से बज चुका है।राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है।दो चरणों में बिहार नगरपालिका चुनाव का आयोजन कराया जाएगा।

पटना:बिहार निकाय चुनाव का बिगुल एक बार फिर से बज चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है। दो चरणों में बिहार नगरपालिका चुनाव का आयोजन कराया जाएगा। आगामी 18 दिसंबर और 28 दिसंबर को मतदान की तिथि निर्धारित की गई है। क्रमश: 20 और 30 दिसंबर को मतगणना होगी। हालाकि इस चुनाव की घोषणा के बाद भी अभी कई पेंच बाकी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के अति पिछड़ा आयोग के गठन पर सवाल खड़े किये हैं। इसे लेकर कई विवाद सामने आने लगे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस ऐलान के बाद अब बिहार कि राजनीति में इस ठंड के मौसम में भी गर्माहट आ गई है। इसी कड़ी में अब विधान परिषद् में नेता विरोधी दल सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ने अतिपिछड़ों के साथ बड़ा धोखा किया है। 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार अतिपिछड़ों के साथ मजाक करने का काम कर रहे हैं। यदि रिपोर्ट आने के बाद कमीशन बना था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि डेडिकेटेड कमीशन बनाना है। लेकिन, नीतीश कुमार ने इस मामले में ईबीसी कमीशन बनाया, जिसमें इनके ही पार्टी के पधाधिकारी लोग शामिल थे। सम्राट ने कहा कि मेरा यह मांग था कि यदि कोई रिपोर्ट आया तो उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए था। 

इसी के आधार पर नया नोटिफिकेशन करना चाहिए था। इसके साथ ही इस रिपोर्ट के आधार पर किस जाती को जोड़ा गया, किस बिरादरी को हटाया गया और इस कारणों से हटाया गया? यह सब कुछ सार्वजनिक करना चाहिए था। इसलिए यह एक तरफ से बिहार कि जनता और अतिपिछड़ों के साथ बड़ा धोखा है। इस धोखा में नीतीश कुमार का पूरा हाथ है।

उधर, जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म करने की भाजपाई साज़िश नाकाम हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में "सामाजिक न्याय के साथ विकास" के लिए संकल्पित सरकार ने नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बरकरार रखते हुए चुनाव कराने का फैसला किया है। 

उन्होंने कहा कि चुनाव चल रहा था, लेकिन भाजपा के लोगों ने गलत तथ्यों के आधार पर कोर्ट के माध्यम बनाकर अति पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करने की कोशिश की। थोड़ी देर के लिए बाधा आई, लेकिन अंतत: सरकार इस काम में सफल हुई। अंतिम रूप से चुनाव आयोग ने चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी है। इससे भाजपा का असली चेहरा उजागर होता है।

Web Title: Politics heats up on municipal elections in Bihar even after the announcement of elections many screws are stuck

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