राजनीतिक चंदे के कानून में बदलाव से बढ़ेगा कालाधन, चिंतित चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 29, 2019 08:06 AM2019-03-29T08:06:41+5:302019-03-29T08:06:41+5:30

चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव बांड के इस्तेमाल की इजाजत देने और राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की सीमा (कैप) हटाने से चुनावी प्रक्रिया में कालेधन को और बढ़ावा मिल सकता है।

political funding new rule will increase black money, Election Commission has given an affidavit in the Supreme Court | राजनीतिक चंदे के कानून में बदलाव से बढ़ेगा कालाधन, चिंतित चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

राजनीतिक चंदे के कानून में बदलाव से बढ़ेगा कालाधन, चिंतित चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

चुनाव आयोग ने चुनावी बांड के इस्तेमाल के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि राजनीतिक चंदे से जुड़े कई कानूनों में बदलाव के पारदर्शिता पर 'गंभीर परिणाम' होंगे. आयोग ने कहा कि चुनाव बांड के इस्तेमाल की इजाजत देने और राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की सीमा (कैप) हटाने से चुनावी प्रक्रिया में कालेधन को और बढ़ावा मिल सकता है.

आयोग ने हलफनामे में कहा कि ऐसे में फर्जी कंपनियों, सरकारी कंपनियों और विदेशी कंपनियों से राजनीतिक दलों को जो फंडिंग होगी, उस पर किसी का नियंत्रण नहीं होगा. यह जानकारी भी नहीं मिलेगी कि पैसा आया कहां से है. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि सरकार ने चुनावी बांड की व्यवस्था लागू करने के लिए जितने भी बदलाव किए हैं, उन्हें असंवैधानिक करार देते हुए रद्द घोषित कर दिया जाए. मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होनी है.

नीतियों पर होगा विदेशी कंपनियों का प्रभाव

चुनाव आयोग ने कहा कि उसने 26 मई, 2017 को विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि आयकर कानून, जनप्रतिनिधित्व कानून और वित्त कानून में बदलाव राजनीतिक दलों को चंदे में पारदर्शिता के खिलाफ होंगे. आयोग ने कहा, ''एफसीआरए-2010 कानून में बदलाव से राजनीतिक दल बिना जांच वाला विदेशी चंदा प्राप्त कर सकेंगे, जिससे भारतीय नीतियां विदेशी कंपनियों से प्रभावित हो सकती हैं.''

क्या है मामला?

सरकार के चुनाव सुधार की दिशा में उठाए गए 'चुनावी बांड' के कदम के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) तथा कुछ अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं. इनका जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने यह हलफनामा दाखिल किया है.

क्या है चुनावी बांड 

* यह राजनीतिक दलों को नकद चंदा देने का विकल्प है.

* केंद्र ने 2017-18 में चुनावी बांड योजना पेश की थी.

* बांड के जरिए दानदाता किसी भी राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकते हैं.

* इसमें बैंक मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं.

* चुनावी बांड एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं से ही बेचे जाते हैं.

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