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सियासी ड्रामा 2019: BJP संग छोड़ शिवसेना ने बनाई कांग्रेस के साथ सरकार, कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिरी, गोवा में कांग्रेस टूटी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 13, 2019 16:26 IST

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री और शिवसेना से यह पद संभालने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। ठाकरे से पहले मनोहर जोशी और नारायण राणे ने शिवसेना नेता के तौर पर यह जिम्मेदारी संभाली।

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ठळक मुद्देगोवा में कांग्रेस पार्टी टूटी, 15 में से 10 विधायकों ने किया बीजेपी ज्वाइनझारखंड चुनाव से पहले बीजेपी की 19 साल पुरानी सहयोगी पार्टी ने आजसू ने छोड़ा साथ

यह साल लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के ऐतिहासिक जीत के अलावा सियासी संकट और राजनीतिक ड्रामों के लिए याद किया जाएगा। इस साल आम चुनाव के अलावा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए। वहीं कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिर गई। कांग्रेस को कर्नाटक के अलावा गोवा में भी झटका लगा जबकि शिवसेना और आजसू ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। पढ़ें साल 2019 की महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम:

बीजेपी से रिश्ता तोड़ शिवसेना ने बनाई एनसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में साथ लड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर अलग हो गई है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसी के साथ ही सत्ता में ठाकरे परिवार की सीधी भागीदारी की शुरुआत हो गई है। उद्धव राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ‘महाराष्ट्र विकास आघाड़ी’ की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।  शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार का गठन विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद हुआ है। 

पिछले दिनों महाराष्ट्र में नाटकीय घटनाक्रम में देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। बाद में दोनों ने इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य के नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई थी। महाराष्ट्र में अक्टूबर महीने में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतीं थी। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने क्रमश: 56, 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिरी

23 जुलाई, 2019 को  कर्नाटक फ्लोर टेस्ट में एचडी कुमारस्वामी की सरकार असफल रही। बहुमत साबित नहीं कर पाने की स्थिति में 14 महीने बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिर गई। फ्लोर टेस्ट में कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में 99 वोट जबकि विपक्ष में 105 मत पड़े। तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को संख्या बल का साथ नहीं मिला। फ्लोर टेस्ट के दौरान 21 विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया जिससे सदन की प्रभावी क्षमता घटकर 204 रह गई। कार्यवाही में कांग्रेस-जेडीएस के 17, बहुजन समाज पार्टी के एक, दो निर्दलीय विधायक नहीं पहुंचे। कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

इसके बाद कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 9 दिसंबर को 12 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। विपक्षी कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव में इन 15 सीटों में से 12 सीटें कांग्रेस के पास थीं। इन सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव हुआ था।  भाजपा ने दांव लगाते हुए कांग्रेस और जद (एस) के अयोग्य करार दिए गए 16 विधायकों में 13 को मैदान में उतारा। उनमें से 11 ने जीत हासिल की। कांग्रेस और जद (एस) के 17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार जुलाई में गिर गयी थी और इसके बाद भाजपा सत्ता में आयी थी। बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के कारण ये उपचुनाव कराया गया। 

झारखंड चुनाव से पहले बीजेपी की 19 साल पुरानी सहयोगी पार्टी ने आजसू ने छोड़ा साथ

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) का साथ टूट गया। सीट बंटवारे के मुद्दे पर बात नहीं बनी जिसके चलते 19 साल पुराने सहयोगियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। आजसू प्रमुख 19 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बीजेपी सिर्फ 9 सीटें देने के लिए राजी थी। झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में बीजेपी 37 सीटों पर जीतने में सफल रही थी जबकि आजसू ने पांच सीटों पर पताका लहराया। बहुमत के आंकड़े से कुछ दूर रह गई बीजेपी ने आजसू के साथ सरकार बनाई। 

गोवा में कांग्रेस पार्टी टूटी

कर्नाटक सियासी संकट के बीच में ही जुलाई 2019 में गोवा कांग्रेस फूट हो गई। गोवा में कांग्रेस पार्टी के 15 विधायकों में 10 ने पाला बदलकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया। 

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की मियाद बढ़ी

12 जून 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की मियाद छह महीने के लिए बढ़ा दी। राज्य में 20 जून 2018 से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2014 में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर बीजेपी ने पीडीपी संग मिलकर सरकार बनाई थी। जून 2018 में दोनों पार्टी में मतभेद के चलते  महबूबा मुफ्ती सरकार चल नहीं पाई। बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया। 

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