बेंगलुरु में मुहर्रम जुलूस के लिए पुलिस ने जारी की एडवाइजरी, जाम से ऐसे बचें
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: July 29, 2023 02:11 PM2023-07-29T14:11:25+5:302023-07-29T14:12:30+5:30
दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच, शूले सर्कल के माध्यम से ब्रिगेड रोड से होसुर रोड की ओर आने वाले वाहनों को रिचमंड रोड लेना होगा और नंजप्पा सर्कल की ओर जाना होगा। होसुर रोड में शामिल होने के लिए सीएमपी जंक्शन पर दाएं मुड़ने से पहले लैंगफोर्ड रोड का उपयोग करना होगा।
बेंगलुरु: मुहर्रम जुलूस के लिए बेंगलुरु शहर की ट्रैफिक पुलिस ने शनिवार को जॉनसन मार्केट से द एल्गिन अपार्टमेंट, होसुर रोड तक के लिए ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है। दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच, शूले सर्कल के माध्यम से ब्रिगेड रोड से होसुर रोड की ओर आने वाले वाहनों को रिचमंड रोड लेना होगा और नंजप्पा सर्कल की ओर जाना होगा। होसुर रोड में शामिल होने के लिए सीएमपी जंक्शन पर दाएं मुड़ने से पहले लैंगफोर्ड रोड का उपयोग करना होगा।
ट्रैफिक पुलिस की एडवाइजरी के अनुसार अदुगोडी जंक्शन से आने वाले वाहनों को नंजप्पा सर्कल जाने के लिए कब्रिस्तान क्रॉस रोड, बर्ली स्ट्रीट, लैंगफोर्ड रोड से गुजरना होगा और फिर रिचमंड रोड या शांतिनगर पहुंचना होगा। होसुर रोड से आने वाले भारी मालवाहक वाहन अदुगोडी जंक्शन, माइको जंक्शन, 8वीं मेन, विल्सन गार्डन मेन रोड से होकर सिद्दैया रोड तक पहुंच सकते हैं।
बता दें कि देश भर में आज मुहर्रम के जुलूस निकाले जा रहे हैं और इसके लिए हर शहर की पुलिस ने व्यापक पैमाने पर तैयारी की है। कुर्बानी की भावना के प्रतीक मुहर्रम जुलूस पर निगरानी रखने के लिए कई शहरों में ड्रोन से निगरानी भी रखी जा रही है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार को इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि न्याय और मानवीय गरिमा के आदर्शों के प्रति उनका साहस और प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। दुनियाभर के मुसलमान, खासकर शिया मुसलमान इस दिन कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाते हैं। इसे 'आशूरा' के नाम से भी जाना जाता है और यह इस्लामिक महीने मुहर्रम का 10वां दिन होता है।
मुहर्रम मुसलमानों के लिए कर्बला में इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करने का समय है। मुहर्रम का महीना आध्यात्मिक चिंतन और कर्बला में इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों की शहादत को याद करने का समय है। हर साल मुहर्रम की तारीखें ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अलग-अलग होती हैं क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है।