पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में जीएसटी की मार से कराहते कारोबारी, कहा- 300 करोड़ फंसे हैं
By IANS | Published: December 19, 2017 04:57 PM2017-12-19T16:57:26+5:302017-12-19T17:31:20+5:30
पूर्वाचल के निर्यातकों की मानें तो लगभग 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की वर्किंग कैपिटल (पूंजी) जीएसटी के चक्कर में फंसी हुई है।
विद्या शंकर राय
उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उसके आसपास के क्षेत्र में कारोबार का हाल बुरा है। आलम यह है कि केंद्र सरकार के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण कालीन से लेकर बनारसी साड़ी और हस्तशिल्प से जुड़े कारोबार पूरी तरह डूबने के कगार पर हैं। निर्यातकों का कहना है कि जीएसटी के पोर्टल में कई खामियों की वजह से उनके लगभग 300 करोड़ रुपये के क्लेम अटके पड़े हैं। इससे कारोबारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्वाचल के निर्यातकों की मानें तो लगभग 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की वर्किं ग कैपिटल (पूंजी) जीएसटी के चक्कर में फंसी हुई है। कालीन नगरी भदोही में करीब चार हजार करोड़ रुपये का कालीन निर्यात होता है। बनारस की साड़ी और हस्तशिल्प का कारोबर करीब 300 करोड़ रुपये का है। कारोबारियों के मुताबिक, जीएसटी के जुलाई में लागू होने से अब तक पांच महीनों में कालीन निर्यातकों का 12 फीसदी और अन्य उद्योगों से जुड़े लोगों ने पांच प्रतिशत की दर से जीसएटी का भुगतान किया है। सभी को उम्मीद थी कि जमा करने के दो-तीन महीने के बाद जीएसटी का रिफंड मिल जाने से कुछ आराम मिलेगा, लेकिन कारोबारियों को निराशा हाथ लगी है।
बुनकरों और कारीगरों की मजदूरी पर सीधा असर
ऑल इंडिया कार्पेट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के रवि पटौदिया की मानें तो सरकार के पोर्टल की गड़बड़ी के चलते जीएसटी रिफंड न हाने से भदोही के एक हजार निर्यातकों के ही करीब 200 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। यह राशि निर्यातकों का वर्किंग कैपिटल होने से कच्चे माल की खरीद से लेकर कालीन की बुनाई और कारीगरों की मजदूरी पर इसका सीधा असर दिखाई देने लगा है। बकौल पटौदिया, "अगर दो-तीन महीने में रिफंड न मिला तो निर्यातकों की कमर टूटना निश्चित है।"
इधर, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के संयोजक अशोक गुप्ता ने भी कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी तो लागू कर दिया, लेकिन इसकी समुचित व्यवस्था नहीं की, जिस कारण निर्यातकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। निर्यातकों को हो रही परेशानियों को लेकर कालीन निर्यातक सुधीर अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि रिफंड फॉर्म पोर्टल पर न होने और शिपिंग बिल का जीएसटी पोर्टल से लिंक न होना भी बड़ी समस्या है। लिंक न होने से निर्यातकों के पास विदेशों में माल भेजने का प्रमाण ही नहीं है। इसके चलते निर्यातक रिफंड क्लेम नहीं कर पा रहे हैं।