किसान आंदोलन पर बोले पीएम मोदी-सालों तक MSP के नाम छल, जानिए बड़ी बातें
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 30, 2020 04:32 PM2020-11-30T16:32:45+5:302020-11-30T21:54:34+5:30
सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।
वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विपक्ष पर जमकर हमला किया। पीएम ने कहा कि सालों तक MSP के नाम छल किया गया।
किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्ज़ माफी के पैकेज घोषित किए जाते थे परन्तु छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थ। सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल है.... ये काला चावल है जिसकी 300 रुपये प्रति किलो तक बिक्री हो रही है। इसे विदेशी बाजार भी मिल गया है।
पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी यही खेल खेला जा रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
#WATCH PM Modi addresses at an event in Varanasi https://t.co/oDh6xONC6W
— ANI (@ANI) November 30, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि पहले सरकार का फैसला किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। परन्तु अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर, आशंकाएं फैलाकर उसे आधार बनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के हंडिया (प्रयागराज) - राजातालाब (वाराणसी) खंड की 6 लेन चौड़ीकरण परियोजना का उद्घाटन किया।
एक राज्य जो किसान की बातें कर रहे हैं उन्होंने किसान सम्मान निधि को अपने राज्य में लागू ही नहीं होने दिया। कहीं मोदी की जय-जयकार न हो जाए। मैं उस राज्य के किसानों से कहना चाहता हूं कि जब उस राज्य में हमारी सरकार बनेगी, ये पैसा भी मैं उस राज्य के किसानों को देकर रहूंगा।
There's new trend now, earlier decisions of govt were opposed, now rumours have become basis for opposition. Propaganda is spread that although decision is fine, it can lead to other consequences, about things that haven't happened or will never happen. Same is with farm laws: PM pic.twitter.com/klMhThLCHo
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
आज काशी को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और उपहार मिल रहा है। इसका लाख काशी के साथ प्रयागराज के लोगों को भी होगा। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। हाईवे बनाना हो, फ्लाईओवर बनाना हो, ट्रैफिक जाम कम करने के लिए रास्तों को चौड़ा करना हो, जितना काम बनारस और आसपास के इलाकों में अभी हो रहा है, इतना काम आज़ादी के बाद कभी नहीं हुआ। मुझे खुशी है कि योगी जी और उनकी टीम ने सरकार बनने के बाद यहां भी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में अभूतपूर्व तेजी आई है। पहले उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या थी, यह आप सभी जानते हैं।
जानिए प्रधानमंत्री ने क्या-क्या कहा...
आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो हम इनको इतनी ताकत क्यों देते ? इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
वादों को जमीन पर उतारने के इसी ट्रैक रिकॉर्ड के बल पर किसानों के हित में नए किसान सुधार कानून लाये गए हैं। किसानों को न्याय दिलाने में ये कितने काम आ रहे हैं, ये आने वाले दिनों में हम जरूर अनुभव करेंगे। मुझे विश्वास है कि मीडिया में भी इसकी सकारात्मक चर्चाएं होंगी।
The new agricultural laws have been brought in for benefit of the farmers. We will see and experience benefits of these new laws in the coming days: PM Modi in Varanasi pic.twitter.com/bY7mwT3E55
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
मुझे एहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है।
एक राज्य में तो वहां की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है। अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है।
आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग सवाल उठाते थे। ये अफवाह फैलाते थे कि ये मोदी है इसलिए ये चुनाव को देखते हुए 2 हजार रूपये दिया जा रहा है और चुनाव के बाद इस पैसे को ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा।
The promise of giving 1.5 times more MSP to farmers as per Swaminathan Commission was fulfilled. This promise was not only fulfilled on paper, but has reached the bank account of the farmers: PM Modi in Varanasi pic.twitter.com/eWC0QlBmNs
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपए धान के MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं। यानि लगभग ढाई गुना ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है।
सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 600 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49,000 करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुना बढ़ोतरी।
हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुना MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है।
हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। पहले यूरिया ब्लैक में लेना होता था, यूरिया लेने आए किसानों पर लाठीचार्ज तक होता था।
किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे।
पहले MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे।
अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
Farmers are being empowered by giving them options for a bigger market. Reforms are being done in the interest of farmers, which will give them more options. Shouldn't a farmer get freedom to sell his produce directly to those who give them better prices & facilities: PM Modi https://t.co/p0RQLjI4ixpic.twitter.com/DLLX4hLP6E
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाओं को बनाया जा रहा है।
सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है।
पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।
भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है?