PM मोदी ने विजय दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर पुतिन को दी बधाई, जानें विजय दिवस का क्या है इतिहास
By भाषा | Published: May 9, 2020 07:16 PM2020-05-09T19:16:25+5:302020-05-09T19:16:25+5:30
मास्को में रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी की पराजय की वर्षगांठ के अवसर पर कोविड-19 की वजह से छोटा कार्यकम आयोजित किया।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन को विजय दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं देते हुए शनिवार को कहा कि इस दिवस के स्मरण के अवसर पर भारत, रूस के साथ खड़ा है । मोदी ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में हजारों की संख्या में भारतीय सैनिकों ने भी बलिदान दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ विजय दिवस की 75वीं वर्षगांठ के स्मरण दिवस पर भारत, रूस के साथ खड़ा है । द्वितीय विश्व युद्ध में हजारों की संख्या में भारतीय सैनिकों ने भी बलिदान दिया था ।’’ मोदी ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति पुतिन और रूस के लोगों को इस अवसर पर गर्मजोशी भरी शुभकामनाएं।’’
मास्को में पुतिन ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी की पराजय की वर्षगांठ के अवसर पर कोविड-19 की वजह से छोटा कार्यकम आयोजित किया।
क्यों मनाया जाता है विजय दिवस-
रूस और पूर्व सोवियत गणराज्यों में हर वर्ष 9 मई का दिन द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले शुक्रवार को ब्रिटेन में द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोपीय देशों की जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ते हुए शहीद हुए लगभग 87 हजार भारतीयों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटेन का राज था। उस दौरान भारतीय सेना में लगभग 25 लाख जवान थे, जो कि सेना के इतिहास में सैनिकों की सर्वाधिक संख्या है। 8 मई 1945 को नाजी जर्मनी ने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके साथ ही यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया था। कोरोना वायरस के चलते, द्वितीय विश्वयुद्ध में यूरोपीय देशों की जीत से संबंधित समारोह पहले ही रद्द किए जा चुके हैं।
रूस और पूर्व सोवियत गणराज्यों में हर वर्ष 9 मई का दिन द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले शुक्रवार को ब्रिटेन में द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोपीय देशों की जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ते हुए शहीद हुए लगभग 87 हजार भारतीयों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटेन का राज था। उस दौरान भारतीय सेना में लगभग 25 लाख जवान थे, जो कि सेना के इतिहास में सैनिकों की सर्वाधिक संख्या है।
8 मई 1945 को नाजी जर्मनी ने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके साथ ही यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया था। कोरोना वायरस के चलते, द्वितीय विश्वयुद्ध में यूरोपीय देशों की जीत से संबंधित समारोह पहले ही रद्द किए जा चुके हैं।