Coronavirus: SAARC देशों की बैठक, पीएम मोदी ने रखा COVID-19 इमरजेंसी फंड का प्रस्ताव, जानें अन्य देशों ने क्या कहा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 15, 2020 05:12 PM2020-03-15T17:12:50+5:302020-03-15T18:27:42+5:30
कोरोना वायरस को WHO को महामारी घोषित किया है। पीएम मोदी ने कहा कि मेरा प्रस्ताव है कि हम COVID-19 इमरजेंसी फंड बनाएं। यह हम सभी के स्वैच्छिक योगदान पर आधारित हो सकता है।
कोरोना वायरस को लेकर सार्क देशों के सम्मेलन की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (15 मार्च) वीडियो कांन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को WHO को महामारी घोषित किया है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से सबको साथ मिलकर लड़ना होगा।
उन्होंने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कोविड-19 को हाल ही में महामारी घोषित किया गया है। हमारे क्षेत्र में अब तक लगभग 150 केस सामने आए हैं, हमें सतर्क रहने की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा हमने विभिन्न देशों से लगभग 1400 भारतीयों को निकाला। हमने अपनी 'पड़ोस पहले नीति’ के अनुसार आपके कुछ नागरिकों की मदद की है।
WATCH via ANI FB: PM Modi leads India at the video conference of all SAARC member countries, over #COVID19.https://t.co/3mo97GEPcVpic.twitter.com/hWHCHd4FQR
— ANI (@ANI) March 15, 2020
पीएम नरेंद्र मोदी ने रखा ये प्रस्ताव
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा प्रस्ताव है कि हम COVID-19 इमरजेंसी फंड बनाएं। यह हम सभी के स्वैच्छिक योगदान पर आधारित हो सकता है। भारत इस फंड के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर के शुरुआती ऑफर के साथ शुरुआत कर सकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि हम परीक्षण किट और अन्य उपकरणों के साथ भारत में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रैपिड रिस्पांस टीम तैयार कर रहे हैं।
जानें अन्य देशों के नेताओं ने क्या कहा
SAARC सदस्य देशों के वीडियो कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह: भारत से सहायता प्राप्त करने के लिए मालदीव भाग्यशाली है। मैं सरकार की तरफ से मोदी और भारत के लोगों की सराहना करता हूं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कहा कि सबसे पहले मैं अपने अनुभवों, विचारों को साझा करने, चुनौतियों को समझने और उपायों पर चर्चा करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि हमें कोरोना वायरस से निपटने के लिए टेली-मेडिसिन के लिए एक सामान्य ढांचा तैयार करना चाहिए। सीमाओं के बंद होने से भोजन, दवाओं और बुनियादी वस्तुओं की उपलब्धता की समस्या हो जाएगी।