विपक्षी दलों की बैठक पर पीएम का हमला- गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है माल कुछ और ही है
By अनिल शर्मा | Updated: July 18, 2023 12:33 IST2023-07-18T12:22:15+5:302023-07-18T12:33:07+5:30
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हें देखकर मुझे एक अवधी कविता याद आती है, "गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है माल कुछ है"। यानी गाना कोई और गाया जा रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है। लेबल किसी और का लगाया गया है। जबकि प्रोडक्ट कुछ और ही है। 24 के लिए 26 होने वाले दलों पर ये फिट बैठता है।

तस्वीरः ANI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बेंगलुरु में हो रही विपक्षी दलों की बैठक पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "उनका मंत्र है - परिवार का, परिवार द्वारा और परिवार के लिए"। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों के नेता बेंगलुरु में आज बैठक कर रहे हैं।
मोदी ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 2024 के लिए देश के लोगों ने हमारी सरकार वापस लाने का मन बना लिया है। ऐसे में भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हें देखकर मुझे एक अवधी कविता याद आती है, "गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है माल कुछ है"। यानी गाना कोई और गाया जा रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है। लेबल किसी और का लगाया गया है। जबकि प्रोडक्ट कुछ और ही है। 24 के लिए 26 होने वाले दलों पर ये फिट बैठता है।
#WATCH 2024 के लिए देश के लोगों ने हमारी सरकार वापस लाने का मन बना लिया है। ऐसे में भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। इन्हें देखकर मुझे एक कविता याद आती है, "गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है माल कुछ है"। 24 के लिए 26 होने वाले दलों पर ये फिट… pic.twitter.com/DEbyCSetIJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 18, 2023
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में हमने न केवल पुरानी सरकारों की गलतियों को सुधारा है, बल्कि लोगों को नई सुविधाएं और रास्ते भी दिए हैं। भारत में विकास का एक नया मॉडल विकसित हुआ है। यह 'सबका साथ, सबका विकास' का मॉडल है।
विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ दलों की स्वार्थ भरी राजनीति के कारण देश के दूर दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं। ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे जिसमें इनका खुद का भला हो इनके परिवार का भला हो, नतीजा ये हुआ कि जो आदिवासी क्षेत्र और द्वीप हैं वहां की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही।