‘दिल और दिल्ली की दूरी’ मिटाने में नाकाम रहे प्रधानमंत्री : फारुक अब्दुल्ला

By भाषा | Updated: December 7, 2021 20:23 IST2021-12-07T20:23:43+5:302021-12-07T20:23:43+5:30

PM failed to remove 'distance between heart and Delhi': Farooq Abdullah | ‘दिल और दिल्ली की दूरी’ मिटाने में नाकाम रहे प्रधानमंत्री : फारुक अब्दुल्ला

‘दिल और दिल्ली की दूरी’ मिटाने में नाकाम रहे प्रधानमंत्री : फारुक अब्दुल्ला

जम्मू, सात दिसंबर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने मंगलवार को यहां कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति गंभीर है क्योंकि प्रधानमंत्री “दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी” मिटाने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रहे हैं।

अब्दुल्ला जम्मू में अपनी पार्टी के एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

अब्दुल्ला ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमसे ‘दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी’ हटाने का वादा किया था। न तो दिल जुड़े न ही जम्मू कश्मीर और दिल्ली के बीच की दूरी मिटी। अगर कुछ बदला है तो उन्हें लोगों को यह बताना चाहिए।”

उनका इशारा संभवत: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लिये बगैर उनके उस बयान की ओर था जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद जम्मू कश्मीर में स्थिति में सुधार हुआ है। नेकां अध्यक्ष ने कहा कि झूठे दावे किए जा रहे हैं जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति गंभीर है।

अब्दुल्ला ने हाल में कहा था कि अपने अधिकार वापस पाने के लिये जम्मू कश्मीर के लोगों को प्रदर्शनकारी किसानों की तरह “बलिदान” करना पड़ सकता है, जिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें देश छोड़ने की सलाह दी थी। कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि वह भारतीय हैं और भारतीय के तौर पर ही मरेंगे।

अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की जंग न तो आसान होगी और न ही खुदा किसी को यह लड़ाई हमारी तरफ से लड़ने के लिये भेजेगा।

अब्दुल्ला ने कहा, “हमें एकजुट होना होगा और अपने अधिकारों के लिये लड़ना होगा। हमनें बंदूक या हथगोले नहीं उठाए और न ही पत्थर फेंके। हम प्रधानमंत्रीपद या राष्ट्रपति पद नहीं चाहते हैं बल्कि हमारी लड़ाई हमारे अधिकारों के लिये है जो हमसे छीन लिए गए हैं।”

उन्होंने कहा, “हम लड़ेंगे और ईमानदारी से लड़ेंगे क्योंकि हम (महात्मा) गांधी के मार्ग पर हैं और गांधी का भारत बहाल करना चाहते हैं।”

संसद के कामकाज को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए लोकसभा सांसद ने कहा कि सत्तारूढ़ दल की विपक्ष को धैर्यपूर्वक सुनने की क्षमता लुप्त हो गई है।

उन्होंने कहा कि उनके पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला संसद सत्र के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के धैर्य के लिए उनकी सराहना करते थे।

अब्दुल्ला ने कहा, “नेहरू हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपरीत संसद में भाग लेते थे जबकि वो लापता रहते हैं। नेहरू विपक्षी नेताओं को चुपचाप सुनते थे।”

हालांकि, उन्होंने कहा, वर्तमान सरकार के तहत सुनने की क्षमता गायब हो गई है, और सत्ताधारी दल में कोई भी सुनने को तैयार नहीं है।

तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार ने पहले तीन विधेयकों को बिना चर्चा के पारित किया और फिर उन्हें उसी तरह रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, “यह हमारे देश में लोकतंत्र की स्थिति है। उन्हें लगता है कि उनके पास प्रचंड बहुमत है और वे कुछ भी कर सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: PM failed to remove 'distance between heart and Delhi': Farooq Abdullah

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे