नयी दिल्ली, छह जून दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और कार्यकर्ता खालिद सैफी को हथकड़ी लगाकर निचली अदालतों में पेश करने की अनुमति देने की पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि ''वे गैंगस्टर नहीं हैं।''
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के समक्ष सुनवाई के लिये पेश की गई इस याचिका में 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपियों खालिद और सैफी को ''पीछे की ओर से दोनों हाथों में हथकड़ी'' लगाने की अनुमति मांगी गई थी। याचिका में कहा गया कि वे ''उच्च जोखिम वाले कैदी '' हैं।
न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसे आधार रहित करार दिया और कहा कि दिल्ली पुलिस और जेल प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने बिना प्रक्रिया अपनाए और दिमाग लगाए यह आवेदन दाखिल किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पांच जून को जारी आदेश में कहा, ''जिन आरोपियों को बेड़ियां और हथकड़ियां लगाकर पेश करने की अनुमति मांगी गई, वे पुराने किसी मामले में दोषी करार नहीं दिये गए हैं। वे गैंगस्टर भी नहीं हैं।''
उन्होंने कहा कि इस समय इस याचिका की जरूरत भी नहीं है क्योंकि कोविड-19 के चलते आरोपियों को भौतिक रूप से अदालत में पेश नहीं किया जा रहा है।
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