बाराबंकी की मस्जिद गिराये जाने के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर

By भाषा | Published: June 12, 2021 03:28 PM2021-06-12T15:28:41+5:302021-06-12T15:28:41+5:30

Petition filed in Lucknow High Court regarding demolition of Barabanki mosque | बाराबंकी की मस्जिद गिराये जाने के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर

बाराबंकी की मस्जिद गिराये जाने के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर

लखनऊ, 12 जून बाराबंकी के राम सनेही घाट तहसील में गरीबनवाज मस्जिद गिराये जाने के मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ का रूख किया हैं ।

बोर्ड के वकील सऊद रईस ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि "बाराबंकी के राम सनेही घाट तहसील में एक सदी पुरानी गरीब नवाज मस्जिद को ढहाये जाने के मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष याचिका दायर की है। बोर्ड ने राम सनेही घाट के तत्कालीन उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल की अदालत द्वारा मस्जिद गिराये जाने के गत तीन अप्रैल के आदेश को भी रद्द करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इस मामले में एक याचिका दायर की है।

"याचिकाओं में अदालत से कई तरह की राहत देने का आग्रह किया गया है जिनमें राम सनेही घाट तहसील के उप जिलाधिकारी द्वारा 3 अप्रैल को पारित आदेश को रद्द करने, स्थानीय अधिकारियों को ध्वस्त की गई मस्जिद का पुनर्निर्माण कराने का आदेश देने और मस्जिद प्रबंध समिति को विवादित भूमि पर मस्जिद के पुनर्निर्माण की अनुमति देने की मांग, और मस्जिद के स्थान, वक्फ भूमि और संपत्ति पर जिस स्वतंत्रता संग्राम स्मारक बाल उदयान का उदघाटन किया है उसका उपयोग को बंद करने का निर्देश देने के आदेश संबंधी अनुरोध शामिल हैं।''

वकील ने बताया, "याचिका में उत्तर प्रदेश राज्य को उक्त मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने और उत्तर प्रदेश राज्य को तत्कालीन राम सनेही घाट, बाराबंकी के एसडीएम के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश देने की भी मांग की गई हैं।”

गौरतलब है कि राम सनेही घाट में उप जिलाधिकारी आवास के सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को पिछली 17 मई को प्रशासन ने कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच ध्वस्त करा दिया था और उसका मलबा भी हटवा दिया था।

जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने इस बारे में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वह मस्जिद नहीं बल्कि अवैध आवासीय परिसर था, जिसे राम सनेही घाट उप जिला मजिस्ट्रेट के पिछली तीन अप्रैल के आदेश पर ध्वस्त किया गया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दोषी अधिकारियों के निलंबन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने और मस्जिद को दोबारा बनवाने की मांग की थी।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी के मुताबिक वह मस्जिद अरसे से वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज थी। अगर प्रशासन को कोई कार्यवाही करनी थी तो वह बोर्ड से संपर्क करता और यह मामला उप जिला मजिस्ट्रेट की अदालत के बजाय वक्फ अभिकरण में चलना चाहिए था।

मामले में बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह और राम सनेही घाट के तत्कालीन उपजिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से इजाजत भी मांगी गई है।

लखनऊ स्थित टीले वाली मस्जिद के सह-मुतवल्ली मौलाना वासिफ ने गत एक जून को महाधिवक्ता को भेजे गए पत्र में कहा था कि बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह और राम सनेही घाट के तत्कालीन उपजिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल ने उच्च न्यायालय के गत 24 अप्रैल के फैसले की अनदेखी करके अत्यंत पूर्वाग्रहपूर्ण रवैया अपनाते हुए अवैध तरीके से 100 साल पुरानी मस्जिद को पिछली 17 मई को ध्वस्त करा दिया।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने गत 24 अप्रैल को एक सामान्य आदेश जारी करके 31 मई तक किसी भी तरह के ध्वस्तीकरण कार्य पर रोक लगाई थी। यह मियाद अब एक अगस्त तक बढ़ा दी गई है, मगर बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह और राम सनेही घाट के तत्कालीन उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल ने उसकी अनदेखी करते हुए बेहद मनमाने तरीके से 100 साल पुरानी ख्वाजा गरीब नवाज मस्जिद को ध्वस्त करा दिया।

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Web Title: Petition filed in Lucknow High Court regarding demolition of Barabanki mosque

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