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मप्र में पेसा अधिनियम लागू, आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभाओं को मिलेंगे ज्यादा अधिकार: चौहान

By भाषा | Updated: December 4, 2021 17:07 IST

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इंदौर, चार दिसंबर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में शनिवार से पेसा अधिनियम लागू होने की अहम घोषणा करते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधा और पूछा कि उसने अपने राज के दौरान आदिवासी बहुल इलाकों में इस कानून को अमल में लाने के लिए कौन-सा कदम उठाया था?

चौहान ने जनजातीय क्रांतिकारी टंट्या भील के बलिदान दिवस पर इंदौर के नेहरू स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासियों की मौजूदगी में पेसा अधिनियम लागू किए जाने की अधिसूचना पढ़ी और कहा, ‘‘पिछले कई वर्षों से पेसा अधिनियम लागू किए जाने की मांग हो रही थी। हमने आज से राज्य में यह अधिनियम लागू कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम लागू होने से आदिवासियों की बड़ी आबादी वाले अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाएं सशक्त होंगी और उन्हें ज्यादा अधिकार मिलेंगे जिससे इन इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेताओं की ओर साफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘हमें पानी पी-पीकर कोसने वाले लोग बताएं कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में पेसा अधिनियम लागू करने के लिए क्या किया था?’’

गौरतलब है कि 1996 के दौरान वजूद में आया पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (पेसा) अनुसूचित क्षेत्रों में बसे आदिवासियों को स्थानीय स्वशासन के अधिकार भी प्रदान करता है।

चौहान ने कार्यक्रम में यह घोषणा भी की कि आदिवासियों पर मामूली प्रावधानों के तहत दर्ज आपराधिक मामले वापस लिए जाएंगे और इस समुदाय के पात्र लोगों को जमीन के सरकारी पट्टे देने का अभियान जारी रहेगा। इसके साथ ही,पट्टे की जमीन पर घर बनाने के लिए आदिवासियों को राज्य सरकार द्वारा मुफ्त रेत भी प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह "शराब जैसी बुराई का नाश" और "नशा मुक्ति" चाहते हैं। लेकिन फिलहाल ऐसा किया जाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

आदिवासी रीति-रिवाजों में देशी शराब के उपयोग को रेखांकित करते हुए चौहान ने कहा कि राज्य की आगामी आबकारी नीति में जनजातीय समुदाय के लोगों को परंपरागत शराब बनाने का अधिकार दिया जाएगा और इसे "विरासत मदिरा" के रूप में शराब की दुकानों पर बेचने की अनुमति भी दी जाएगी। उन्होंने कहा,"बड़े-बड़े लोग शराब कारखाने चलाएं और गरीब आदिवासियों को परंपरागत शराब बनाने पर गिरफ्तार कर लिया जाए, ऐसा नहीं होगा।"

कार्यक्रम को राज्य के राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने भी संबोधित किया। इससे पहले, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इंदौर से करीब 35 किलोमीटर दूर पातालपानी में आयोजित अन्य कार्यक्रम में टंट्या भील की अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण किया।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि लम्बे समय तक देश की सत्ता में रही इस पार्टी ने टंट्या भील सरीखे आदिवासी शहीदों का योगदान भुलाकर केवल नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया।

जानकारों का कहना है कि अंग्रेजों ने टंट्या भील को चार दिसंबर 1889 को राजद्रोह के जुर्म में जबलपुर के जेल में फांसी दी थी। माना जाता है कि पातालपानी में टंट्या भील का अंतिम संस्कार किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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