दिव्यांग व्यक्तियों को हवाई अड्डों पर कृत्रिम अंग निकालने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 3, 2021 20:07 IST2021-12-03T20:07:30+5:302021-12-03T20:07:30+5:30

Persons with disabilities should not be asked to remove prostheses at airports: Court | दिव्यांग व्यक्तियों को हवाई अड्डों पर कृत्रिम अंग निकालने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए: न्यायालय

दिव्यांग व्यक्तियों को हवाई अड्डों पर कृत्रिम अंग निकालने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए: न्यायालय

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सुरक्षा जांच के दौरान दिव्यांगों को मानवीय गरिमा बनाये रखने के लिए कृत्रिम अंगों को निकालने के लिए नहीं कहा जाए।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यह भी कहा कि हवाई यात्रा या सुरक्षा जांच के दौरान दिव्यांगों को उठाना अमानवीय है और कहा कि ऐसा उसकी सहमति के बिना नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘एक अन्य पहलू जिसका हम उल्लेख करना चाहते हैं, वह है कुछ दिव्यांगों का कृत्रिम अंगों का उपयोग करना। कभी कभार उन्हें सुरक्षा जांच के तहत कृत्रिम अंगों को निकालने के लिए कहा जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘जारी मसौदा दिशा-निर्देशों में फुल बॉडी (पूरे शरीर) स्कैनर से कृत्रिम अंगों या कैलिपर्स की स्कैनिंग का उल्लेख किया गया है लेकिन सुरक्षा के उद्देश्य से कृत्रिम अंगों या कैलीपर्स वाले व्यक्तियों की किस हद तक जांच की जानी चाहिए, यह इस सीमा तक होनी चाहिए जिसमें ऐसे किसी व्यक्ति को सुरक्षा जांच सुनिश्चित करते हुए मानवीय गरिमा बनाए रखने के लिए कृत्रिम अंग या कैलीपर्स को हटाने के लिए नहीं कहा जाए।’’

शीर्ष अदालत सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित जीजा घोष द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे स्पाइसजेट ने 2012 में तब उतार दिया था जब वह एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलकाता से गोवा जा रही थीं।

शीर्ष अदालत को अवगत कराया गया कि नागरिक उड्डयन आवश्यकताएँ (सीएआर) दिशानिर्देशों को 2 जुलाई, 2021 को संशोधित किया गया था और अब दिव्यांग व्यक्तियों के हवाई मार्ग से सफर के लिए मसौदा दिशानिर्देशों को वर्ष 2021 में सार्वजनिक किया गया है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने मसौदा दिशानिर्देशों पर कई आपत्तियां उठाईं।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को मसौदा दिशानिर्देशों पर अपनी आपत्तियां या सुझाव डीजीसीए को सौंपने को कहा। शीर्ष अदालत ने एक दिसंबर के अपने आदेश में कहा कि आपत्तियां या सुझाव आज से 30 दिन के भीतर सौंपी जा सकती हैं।

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Web Title: Persons with disabilities should not be asked to remove prostheses at airports: Court

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