लद्दाख की जनता ने राज्य का दर्जा पाने के लिए भरी हुंकार, की आंदोलन की शुरूआत
By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 2, 2022 05:51 PM2022-11-02T17:51:58+5:302022-11-02T17:56:03+5:30
लद्दाख की जनता ने अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद मिले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जे पर निराशा जताते हुए पूर्व राज्य की मांग के लिए लेह में विरोध-प्रदर्शन किया।
जम्मू: केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अगस्त 2019 में एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाए गए क्षेत्र के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने के लिए आज लेह में विरोध मार्च निकाला गया। तीस सालों के आंदोलन के बाद लद्दाख की जनता ने जो केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाया था वह उससे बेहद निराश है।
इस कारण वहां के लोगों ने बुधवार को लेह व करगिल में प्रदर्शन के साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर आंदोलन की शुरूआत कर दी है। लद्दाख एपेक्स बाडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के आह्वान पर बुधवार को लेह के पोलो ग्राउंड में करगिल के लाल चौक में प्रदर्शन जारी हैं। रोचक तथ्य यह है कि लेह के बौद्धों ने 30 सालों तक यूटी का दर्जा पाने आंदोलन किया था पर राज्य का दर्जा पाने को करगिल भी उसके साथ है। बस भारतीय जनता पार्टी का साथ इस मांग में उन्हें नहीं मिल पा रहा है।
इन प्रदर्शनों में व्यापारिक, ट्रांसपोर्टर, टूर एंड ट्रेवल एसोएिशनों के सदस्यों के साथ समाज के विभिन्न वर्गों के लोग व बेरोजगार हिस्सा ले रहे हैं। बुधवार सुबह दस बजे के करीब लेह के पेट्रोल पंप से लेकर पोलो ग्राउंड तक विरोध रैली का आयोजन किया गया है। इस रैली का नेतृत्व लद्दाख अपेक्स बाडी के पूर्व सांसद थुप्स्टन छेवांग, छेरिंग दोरजे के साथ पदमा स्टेंजिन, थिनलेस आंगमो आदि ने किया।
यह विरोध रैली लेह के पोलो ग्राउंड में संपन्न हुई। इस दौरान जोर दिया कि केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों की मांगों को पूरा करने की दिशा में गंभीरता से कार्रवाई करे। जिन मुद्दों को लेकर लद्दाख में प्रदर्शन हो रहे हैं, उनमें लद्दाख को राज्य बनाना, इसे संविधान के छठे शेडयूल के दायरे में लाना, सिक्किम की तर्ज पर लद्दाख में विधानसभा का गठन, क्षेत्र में सरकारी नौकरियों पर सिर्फ लद्दाख के युवाओं को नियुक्त करना व लद्दाख के लिए एक की जगह दो संसदीय सीटें बनाकर लेह व करगिल के लोगों की उम्मीदों को पूरा करना मुख्य है।
दरअसल जो यूटी का दर्जा बिना विधानसभा के मिला वह अब लद्दाखवासियों को रास नहीं आ रहा है। यूटी मिलने के कुछ ही महीनों के बाद उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया था। इस आंदोलन ने अब हवा पकड़नी आरंभ की है पर अभी उतनी नहीं है जितनी आग यूटी पाने की मांग ने पकड़ी थी। एक बार अगस्त महीने में भी इस मांग को लेकर बंद का आयोजन किया जा चुका है।
इस अवसर पर अपेक्स बाडी के नेताओं ने कहा कि लद्दाख के लोग अपनी मांगों को लेकर लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी करें। लद्दाख के लोगों के भविष्य को लेकर लड़ी जाने वाली इस लड़ाई को कामयाब बनाना हर लद्दाखी की जिम्मेवारी बनती है। केंद्र सरकार ने हमारी मांगे नही मानी तो वर्ष 2023 में धरने, प्रदर्शनों का सिलसिला तेज हो जाएगा। केंद्र लद्दाख के मुद्दों को अब और न टाले। लेह की तरह करगिल में भी इन मुद्दों को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व नसीर हुसैन मुंशी, कमर अली अखनूर, असगर अली करबलई व सज्जाद करगिली आदि कर रहे हैं।