नई दिल्ली। नजरबंदी से 15 माह बाद रिहा हुईं महबूबा मुफ्ति इन दिनों मोदी सरकार के खिलाफ अंगार उगल रही हैं। महबूबा केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने का कोई अवसर नहीं छोड़ रही हैं। जम्मू-कश्मीर के लिए शुरू से ही केंद्र की नीतियों के खिलाफ महबूबा मुखर रही हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने अब पाकिस्तान और चीन से बातचीत करने की पैरवी की है। यह पहली बार नहीं हो रहा है जब पाकिस्तान को लेकर महबूबा का प्रेम उमड़ा हो। वह पहले भी कई मौकों पर पाकिस्तान के पक्ष में पैरवी कर चुकी हैं।
इस बार उन्होंने पाकिस्तान के प्रति प्रेम दिखाते हुए कहा कि जब हम चीन से बात कर सकते हैं तो पाकिस्तान से क्यों नहीं। महबूबा के साथ राज्य के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला भी केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर हैं। उन्होंने तो कुछ दिन पहले कहा था कि चीन की मदद से कश्मीर में फिर से आर्टिकल 370 बहाल करवाया जाएगा।
महबूबा मुफ्ती ने इससे पहले भड़काऊ बयान देते हुए राज्य में बंदूक उठाने वालों का समर्थन किया था। महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जब नौकरी नहीं होगी तो यहां के लड़के बंदूक ही उठाएंगे। राज्य में खिसकती सियासी जमीन पर अपनी बौखलाहट दिखाते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 370 हटाने के बाद भाजपा की मंशा जम्मू-कश्मीर की जमीन और नौकरी छीनने की है। उन्होंने आगे कहा, 'डोगरा संस्कृति को बचाने के लिए 370 था। कहीं डोगरा संस्कृति ही लुप्त न हो जाए। चाहे मुल्क का झंडा हो या जम्मू कश्मीर का झंडो हो। वह हमें संविधान ने दिया था। इन्होंने हमसे वह झंडा छीन लिया।'
भड़काऊ बयान देते हुए पूर्व सीएम ने कहा, 'आज इनका (भाजपा) वक्त है, कल हमारा आएगा। इनका भी ट्रम्प वाला हाल होगा। बॉर्डर्स के रस्ते खुलने चाहिए। जम्मू-कश्मीर दोनों मुल्कों के बीच अमन का पुल बने। हमारा झंडा हमें वापस दो। हम चुनाव इकट्ठे लड़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर के टुकड़े कर दिए गए हैं। इन ताकतों को दूर करने के लिए हमने हाथ मिलाया है।'पीडीपी नेता महबूबा ने कहा, 'अगर हम चीन से बात कर सकते हैं तो पाकिस्तान से क्यों नहीं? हम चीन से अपनी जमीन वापस लौटाने के लिए आग्रह कर रहे हैं।' वहीं, फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि आप अगर जम्मू-कश्मीर में जाकर लोगों से पूछेंगे कि क्या वह भारतीय हैं, तो लोग कहेंगे कि नहीं हम भारतीय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि अच्छा होगा अगर हम चीन के साथ मिल जाएं।
एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं। वहीं दूसरी ओर देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।