जिसे कांग्रेस ने शीर्ष पदों पर समर्थन दिया, अब वो उसी पार्टी के खिलाफ बोल रहे: गुलाम नबी आजाद पर पवन खेड़ा का पलटवार
By मनाली रस्तोगी | Published: April 5, 2023 05:15 PM2023-04-05T17:15:35+5:302023-04-05T17:18:12+5:30
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बुधवार को कहा कि जिस राजनेता (गुलाम नबी आजाद) को उनकी पार्टी ने पार्टी के शीर्ष पदों पर समर्थन दिया था, अब उस पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बुधवार को गुलाम नबी आजाद पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जिस राजनेता (गुलाम नबी आजाद) को उनकी पार्टी ने पार्टी के शीर्ष पदों पर समर्थन दिया था, अब उस पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। उन्होंने पार्टी का भरोसा तोड़ा। जब उन्होंने पार्टी छोड़ी तो उन्होंने कहा कि मैं अभी आजाद हूं, लेकिन पिछले दो दिनों में उनकी टिप्पणियों को सुनने के बाद हमें लगता है कि वह 'गुलाम' बन गए हैं।
गौरतलब है कि बुधवार समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पूर्व कांग्रेस नेता और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की कमियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ कमियां सभी राजनीतिक पार्टियों में होती हैं, कांग्रेस में भी कुछ कमियां रही हैं। मैं आशा करता हूं कि कांग्रेस पार्टी उन गलतियों को ठीक करे, आगे बढ़े और एक राष्ट्रीय पार्टी की भूमिका निभाए।
The politician (Ghulam Nabi Azad) who was supported by his party (Congress), given the top posts of the party, now is speaking against that party. He (Ghulam Nabi Azad) broke the trust of the party. When he left the party he said I am free now, but after listening to his comments… pic.twitter.com/AT02fhz4Jf
— ANI (@ANI) April 5, 2023
आजाद ने भाजपा की केंद्र सरकार की विदेश नीति की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हम 24 घंटे नींद से उठकर मोदी और भाजपा को गालियां नहीं देते। विदेश नीति में दुनिया विफल हो गई परन्तु भारत सफल हुआ है। कुछ चीजों में भाजपा को सुधार करना होगा नहीं तो उनका भी कांग्रेस जैसा हाल हो सकता है। विधानसभाओं को तोड़फोड़ करने का सिलसिला बंद करना होगा।
इससे पहले एक इंटरव्यू में आजाद ने कांग्रेस पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि आज के दौर में केवल भाजपा और सीपीएम ही ऐसी पार्टियां बची हैं, जो जमीनी स्तर पर काम करते हैं। लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। एक समय था जब यूपी में मायावती की बसपा जमीनी स्तर पर काम करती थी लेकिन जैसे ही उसने जमीनी राजनीतिक छोड़ा, बसपा हार गई। ठीक वैसे ही कांग्रेस के ज्यादातर नेता पहले जमीनी कार्यकर्ता थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।