पटना हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, मुखिया और उप मुखिया को पद से हटाना गैरकानूनी, प्रधान सचिव के आदेश रद्द

By एस पी सिन्हा | Updated: April 6, 2021 19:10 IST2021-04-06T19:09:13+5:302021-04-06T19:10:02+5:30

न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने कौशल राय की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया.

Patna High Court decision removal mukhiya and deputy mukhiya illegal order of Principal Secretary canceled | पटना हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, मुखिया और उप मुखिया को पद से हटाना गैरकानूनी, प्रधान सचिव के आदेश रद्द

नये प्रावधान के तहत अब तक लोक प्रहरी संस्था का गठन ही नहीं किया गया.

Highlightsपंचायती राज कानून में लोक प्रहरी की भूमिका होने के बावजूद बिहार में आजतक इस संस्था का गठन नहीं किया गया है.धारा 18 में  संशोधन कर मुखिया व उप मुखिया, प्रमुख को हटाने के पूर्व लोक प्रहरी की अनुशंसा लेने का प्रावधान जोड़ा गया है. संशोधन एक दशक पूर्व ही पंचायती राज कानून में किया गया.

पटनाः पटना हाईकोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि बिहार में लोक प्रहरी की अनुशंसा बगैर ही सरकार मुखिया पर कार्रवाई कर रही है, जबकि ऐसा किया जाना नियमों के विरुद्ध है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मुखिया या उप मुखिया को हटाने से पहले अगर लोक प्रहरी की संस्तुति नहीं ली गई है तो वैसी कार्रवाई गैर कानूनी होगी. पंचायती राज कानून में लोक प्रहरी की भूमिका होने के बावजूद बिहार में आजतक इस संस्था का गठन नहीं किया गया है.

न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने कौशल राय की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया. कोर्ट को बताया गया कि ‘पद के दुरुपयोग’ के आरोप में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने मुखिया को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन पद से हटाने के पूर्व लोक प्रहरी से अनुशंसा नहीं की गई. जबकि पंचायती राज कानून की धारा 18 में  संशोधन कर मुखिया व उप मुखिया, प्रमुख को हटाने के पूर्व लोक प्रहरी की अनुशंसा लेने का प्रावधान जोड़ा गया है. यह संशोधन एक दशक पूर्व ही पंचायती राज कानून में किया गया.

लेकिन इस नये प्रावधान के तहत अब तक लोक प्रहरी संस्था का गठन ही नहीं किया गया और राज्य सरकार के अधिकारी लोक प्रहरी की शक्तियों का अपने ही स्तर से इस्तेमाल कर कार्रवाई कर रहे हैं. मामला सीतामढ़ी जिले के डूमरी प्रखंड के बिशुनपुर ग्राम पंचायत से जु्ड़ा है.

जहां पद के दुरुपयोग के आरोप पर पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव के आदेश से मुखिया कौशल राय को पदच्युत कर दिया गया, किंतु उक्त कार्रवाई करने में लोक प्रहरी से कोई संस्तुति नहीं ली गई. जिसके बाद मुखिया ने कोर्ट में सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि उसी प्रखंड के बरियारपुर पंचायत के मुखिया पर ज्यादा गंभीर आरोप होते हुए भी उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जबकि याचिकाकर्ता को उसके पद से हटा दिया गया.

लोक प्रहरी जैसी संस्था के नही होने से अफसरशाही ऐसी मनमानी कर रही है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ पेश किए गए तथ्यों पर सहमति जाहिर करते हुए उनके मुखिया पद से हटाए जाने को लेकर प्रधान सचिव के आदेश को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने इस कारवाई को पंचायती राज कानून के प्रविधानों का स्पष्ट उल्लंघन मानते हुए याचिकाकर्ता को वापस पद पर बहाल करने का निर्देश दिया. 

बताया जाता है कि याचिकाकर्ता सीतामढी के डुमरा ब्लॉक स्थित बिशुनपुर ग्राम पंचायत के मुखिया थे. ग्रामसभा की बैठक से पारित निर्णय पर उसने हर घर नल का जल योजना के लिए 18 लाख रुपये की निकासी की. लेकिन कुछ महीने बाद भी योजना पर अमल नहीं हुआ तो उसने सूद सहित सरकारी राशि वापस बैंक में जमा कर दी.

विभाग ने याचिकाकर्ता पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कार्रवाई कर उसे पदच्युत कर दिया था. बिहार राज पंचायती  एक्ट, 2011 की धारा 5 ऑफ 152 के तहत यह व्यवस्था की गई है कि जिस प्रकार से लोकायुक्त का गठन होता है. उसी के तर्ज पर एक लोक प्रहरी पद गठित किया जाएगा. लोक प्रहरी की अनुशंसा के बिना मुखिया एवं उप मुखिया को नहीं हटाया जा सकता है.

Web Title: Patna High Court decision removal mukhiya and deputy mukhiya illegal order of Principal Secretary canceled

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