मरीजों को जीने का अधिकार लेकिन दूसरे के मुकाबले उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा सकती : अदालत

By भाषा | Updated: May 27, 2021 19:48 IST2021-05-27T19:48:55+5:302021-05-27T19:48:55+5:30

Patients have the right to live but cannot be given priority over others: court | मरीजों को जीने का अधिकार लेकिन दूसरे के मुकाबले उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा सकती : अदालत

मरीजों को जीने का अधिकार लेकिन दूसरे के मुकाबले उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा सकती : अदालत

नयी दिल्ली, 27 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रत्येक मरीज को जीवन और सम्मान से जीने का अधिकार है लेकिन किसी को भी ब्लैक फंगस की दवा या इलाज में दूसरे मरीजों के मुकाबले प्राथमिकता नहीं दी ज सकती।

बता दें कि यह संक्रमण मुख्यमत: कोविड-19 मरीजों या इस महामारी से उबर चुके लोगों में देखा जा रहा है।

अदालत ने कहा कि यह निश्चित है कि मरीज की पोती, जो सरकार और सर गंगा राम अस्पताल को उचित संख्या में एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन उन्हें मुहैया कराने का निर्देश चाहती है, लेकिन अन्य मरीजों के मुकाबले इलाज के लिए प्राथमिकता नहीं चाहती है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘ चूंकि अब याचिकाकर्ता ब्लैक फंगस की दवा आवंटित करने की व्यवस्था में शामिल हो गई है, हमें उम्मीद है कि सर गंगाराम अस्पताल के अन्य मरीजों के आवंटन के साथ उसे भी और दवा आवंटित होगी।’’

अस्पताल में भर्ती 80 वर्षीय मरीज की पोती एवं अधिवक्ता इकरा खालिद ने इससे पहले अदालत को बतायाा कि 23 मई को दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनके मरीज को एक इंजेक्शन नहीं दिया जा सका जिससे संक्रमण ऑर्बिट और साइनस तक फैल गया और दो हड्डिया निकालनी पड़ी।

उन्होंने बताया कि इससे पहले भी उनके मरीज की संक्रमण की वजह से दो सर्जरी हो चुकी है।

अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई एक जून को सूचीबद्ध की है।

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Web Title: Patients have the right to live but cannot be given priority over others: court

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