सबरीमला मंदिर जाने के सपने को पूरा करने के लिए पादरी ने लौटाया चर्च का लाइसेंस, फैसले पर हुआ था विवाद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2023 06:48 PM2023-09-10T18:48:19+5:302023-09-10T18:50:26+5:30

मनोज ने कहा कि सबरीमला में पूजा-अर्चना करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मैंने गिरिजाघर को लाइसेंस लौटने का फैसला किया, जो उसने मुझे प्रार्थना संबंधी सेवाएं करने के लिए दिया था।

Pastor returns church license to fulfill dream of visiting Sabarimala temple | सबरीमला मंदिर जाने के सपने को पूरा करने के लिए पादरी ने लौटाया चर्च का लाइसेंस, फैसले पर हुआ था विवाद

सबरीमला मंदिर (फाइल फोटो)

Highlightsसबरीमला मंदिर में पूजा करने के लिए पादरी ने लौटाया चर्च का लाइसेंसमंदिर जाने के लिए 41 दिनों का पारंपरिक ‘व्रतम’ कर रहे हैं ‘एंग्लिकन चर्च ऑफ इंडिया’ ने उठाई थी आपत्ति

तिरुवनंतपुरम: केरल के एक पादरी ने 41 दिनों के संयम का पालन करने और सबरीमला मंदिर में पूजा-अर्चना करने की योजना को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद गिरिजाघर का अपना लाइसेंस लौटा दिया है। ‘एंग्लिकन चर्च ऑफ इंडिया’ के पादरी आर मनोज केजी इस महीने के अंत में तीर्थयात्रा पर यह मंदिर जाने के लिए 41 दिनों का पारंपरिक ‘व्रतम’ कर रहे हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘जब गिरिजाघर को (उनकी इस गतिविधि) इसकी जानकारी मिली, तो उसने कहा कि यह व्यवहार अस्वीकार्य है तथा उसने मुझसे स्पष्टीकरण मांगा कि मैंने क्यों उसके सिद्धांतों और नियमों का उल्लंघन किया।’ उन्होंने कहा, ‘स्पष्टीकरण देने के बजाय मैंने पहचान पत्र और लाइसेंस लौटा दिये। जब मैं पादरी बना था, तब गिरिजाघर ने यह मुझे दिया था।’

उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने जो कुछ किया वह ‘एंग्लिकन चर्च ऑफ इंडिया’ के सिद्धांत और नियमों के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि उनका कृत्य चर्च के सिद्धांतों पर नहीं, बल्कि ‘ईश्वर’ के सिद्धांतों पर आधारित है। मनोज ने कहा, ‘ईश्वर ने जाति, वंश, धर्म और धार्मिक विश्वास से परे हटकर सभी से प्रेम करने को कहा है। दूसरे से प्रेम करने में उनकी गतिविधियों से जुड़ना भी शामिल है। इसलिए आप तय कर सकते हैं कि आपको गिरिजाघर के सिद्धांत को मानना है, या ईश्वर के सिद्धांत को।’

उन्होंने कहा, ‘आप ईश्वर से प्रेम करते हैं या गिरिजाघर से, यह आप तय कर सकते हैं।’ उन्होंने 41 दिनों के संयम संबंधी अपने निर्णय की अन्य लोगों द्वारा की जा रही आलोचना पर फेसबुक पर अपने एक वीडियो में यह बात कही। मनोज ने कहा कि गिरिजाघर से उनका तात्पर्य मानवनिर्मित रीति-रिवाजों से है। वह पादरी बनने से पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। मनोज ने कहा कि अपने आध्यात्मिक उपदेश को प्रमाणिकता प्रदान करने के लिए वह पादरी बने थे। सोशल मीडिया पर हाल में उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह काले परिधान में नजर आ रहे हैं, जो भगवान अयप्पा के श्रद्धालु पहनते हैं।

पादरी ने कहा कि इस खबर से विवाद पैदा हो गया और उनके समुदाय के कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की तथा गिरिजाघर प्रशासन ने उनसे उनकी योजना के बारे में जानना चाहा। उन्होंने कहा, ‘मेरे पंथ के अपने नियम, विनियम और उपनियम हैं। मैंने जो कुछ किया है, उसे वे स्वीकार नहीं कर सकते...प्रश्न उठाये गये हैं।’

मनोज ने कहा कि सबरीमला में पूजा-अर्चना करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मैंने गिरिजाघर को लाइसेंस लौटने का फैसला किया, जो उसने मुझे प्रार्थना संबंधी सेवाएं करने के लिए दिया था। उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय इसलिए लिया कि उसने मुझसे स्पष्टीकरण मांगा था। अपनी सबरीमला यात्रा को लेकर मैं उन्हें किसी मुश्किल में डालना नहीं चाहता। मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं।’

मनोज ने यह भी कहा कि लाइसेंस तो लौटा दिया है, लेकिन वह पादरी बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपने व्रतम पर आगे बढ़ेंगे क्योंकि उनकी मंदिर यात्रा की योजना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि उनकी योजना 20 सितंबर को सबरीमला मंदिर जाने की है। उन्होंने कहा, ‘मेरा दृढ विश्वास है कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मेरा मकसद बस हिंदुत्व को उसके कर्मकांडों से परे समझना है, जैसा कि मैंने ईसाइयत के मामले में किया।’

(इनपुट- भाषा)

Web Title: Pastor returns church license to fulfill dream of visiting Sabarimala temple

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