संसदीय समिति को बताया गया: कोरोना के नए स्वरूपों के मामले 20 जून तक 51 फीसदी तक हुए

By भाषा | Updated: June 28, 2021 19:09 IST2021-06-28T19:09:45+5:302021-06-28T19:09:45+5:30

Parliamentary committee was told: cases of new forms of corona were up to 51 percent till June 20 | संसदीय समिति को बताया गया: कोरोना के नए स्वरूपों के मामले 20 जून तक 51 फीसदी तक हुए

संसदीय समिति को बताया गया: कोरोना के नए स्वरूपों के मामले 20 जून तक 51 फीसदी तक हुए

नयी दिल्ली, 28 जून सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि मई में कोरोना वायरस के कुल संक्रमण में 10 फीसदी मामले कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी तक पहुंच गए तथा देश में निर्मित दोनों टीके ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ इन स्वरूपों के खिलाफ कारगर हैं, हालांकि असर थोड़ा कम है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।

सूत्रों के मुताबिक, टीकों की उपलब्धता के बारे में अधिकारियों ने गृह मामलों की स्थायी समिति को सूचित किया कि इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ खुराक उपलब्ध कराई जाएगी। ये खुराक कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी, जायडस कैडिला का डीएनए टीका और ‘बायो ई सबयूनिट’ टीके की होंगी।

इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा करते हैं। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन, वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के. राजा रमन उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने समिति के समक्ष ‘कोविड की दूसरी लहर के ‘सामाजिक-आर्थिक परिणाम’ पर अपनी बात रखी।

कोरोना वायरस के कई चिंताजनक स्वरूपों के बारे में जानकारी साझा करते हुए अधिकारियों ने समिति को बताया कि इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्वरूप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 174 जिलों में ये स्वरूप पाए गए हैं। इनके सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात सामने आए हैं।

अधिकारियों द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, कोरोना के चिंताजनक स्वरूपों का अधिक प्रसार होता है, इनकी प्रचंडता और निदान, दवाओं एवं टीकों के संदर्भ में भी बदलाव है। समिति से संबंधित एक सूत्र ने बताया, ‘‘अधिकारियों ने समिति को बताया कि कोविड के चिंताजनक स्वरूपों के मामले मई में 10.31 फीसदी थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसदी हो गए।’’

सूत्र ने कहा कि आईसीएमआर और ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ की ओर से इन स्वरूपों के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड के असर को लेकर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि इन स्वरूपों में प्रतिरोधक क्षमता अन्य स्वरूपों के मुकाबले थोड़ा घट जाती है, लेकिन टीके बीमारी के गंभीर स्वरूप में प्रभावी हैं।

समिति को सूचित किया गया कि डेल्टा प्लस के असर को लेकर भी इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है।

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