संसद में सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह में कई बार हुई शायराना तकरार, वफा-बेवफाई का हुआ था जिक्र

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 10:32 AM2019-08-07T10:32:53+5:302019-08-07T10:33:21+5:30

सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने एक प्रखर वक्ता के रूप अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। 15वीं लोकसभा (2009-14) में विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज का लोहा उनका वैचारिक और राजनीतिक विरोधी भी मानते थे।

Parliament witnesses poetic duel between Manmohan Singh and Sushma Swaraj | संसद में सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह में कई बार हुई शायराना तकरार, वफा-बेवफाई का हुआ था जिक्र

भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया।

Highlightsएक बार संसद में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं उनकी (स्वराज) की तरह ओजस्वी वक्ता नहीं हूं। पिछले 45 वर्षों से भारतीय राजनीति की प्रमुख हस्ती रहीं 67 वर्षीय सुषमा स्वराज ने एम्स में आखिरी सांसें लीं। 

भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। पिछले 45 वर्षों से भारतीय राजनीति की प्रमुख हस्ती रहीं 67 वर्षीय सुषमा स्वराज ने एम्स में आखिरी सांसें लीं। 

सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने एक प्रखर वक्ता के रूप अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। 15वीं लोकसभा (2009-14) में विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज का लोहा उनका वैचारिक और राजनीतिक विरोधी भी मानते थे। एक बार संसद में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं उनकी (स्वराज) की तरह ओजस्वी वक्ता नहीं हूं। 

जब पूरे देश में महंगाई और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विपक्ष के निशाने पर थे तो लोकसभा में कई बार दोनों नेताओं के बीच शायराना अंदाज में बहस देखने को मिली।

जानें 2013 का पूरा मामला

2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भाजपा पर प्रहार करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मिर्ज़ा ग़ालिब ने शेर पढ़ा कि हमें है उनसे वफा की उम्मीद जो नहीं जानते वफा क्या है। इसके बाद सुषमा ने कहा कि उनकी एक शायरी का जवाब वह दो से देंगी और उनका कर्ज नहीं रखेंगी। 

इस पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी चुटकी ली कि फिर तो उन पर उधार हो जाएगा। प्रधानमंत्री के जवाब में सुषमा स्वराज ने दो शेर पढ़े।

पहला शेर उन्होंने बशीर बद्र का पढ़ा, कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता। और कहा कि वह देश के साथ बेवफाई कर रहे हैं। अपने भाषण के दौरान उन्होंने दूसरा शेर पढ़ा कि तुम्हें वफा याद नहीं हमें जफा याद नहीं, जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं।

जानें 2011 का पूरा मामला

बजट सत्र 2011 के दौरान लोकसभा में  तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच सांसदों की वाहवाही से बंधे समां में शेरो शायरी का दिलचस्प जवाबी मुकाबला देखने को मिला था। 

सुषमा ने नियम-193 के तहत हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री के नेतृत्व और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए शहाब जाफ़री का शेर पढ़ा, तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता के कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों (लुटेरों) से गिला नहीं, तेरी रहबरी (नेतृत्व) का सवाल है। इस शेर पर सुषमा के सामने बैठे सिंह मुस्कुरा दिए। 

चर्चा के जवाब के दौरान सिंह ने सुषमा से मुखातिब होते हुए कहा कि उनके शेर के जवाब में वह भी एक शेर कहना चाहते हैं, इस पर सुषमा ने हंसते हुए कहा, इरशाद। सिंह ने अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर पढ़ा, माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख। सिंह के इस शेर को सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से मेजों की थपथपाहट के साथ वाहवाही मिली जबकि विपक्षी सदस्य सन्नाटे में नजर आए। 

Web Title: Parliament witnesses poetic duel between Manmohan Singh and Sushma Swaraj

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