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Parliament Monsoon Session: प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित, 1867 में अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह लेगा, कई महत्वपूर्ण प्रावधान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 3, 2023 18:35 IST

Parliament Monsoon Session: उच्च सदन में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा रखे गये इस विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सदन से पहले ही बहिर्गमन कर दिया था।वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया।विधेयक के कारणों और उद्देश्य के अनुसार 1961 के अधिवक्ता कानून में संशोधन किया जाएगा।

Parliament Monsoon Session: राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें प्रकाशकों के लिए प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करने तथा पत्र-पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को आनलाइन बनाने सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।

उच्च सदन में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा रखे गये इस विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा और इसे पारित किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे क्योंकि उन्होंने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सदन से पहले ही बहिर्गमन कर दिया था।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा चर्चा में शामिल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इस विधेयक से अखबारों या पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया ना सिर्फ आसान होगी बल्कि उद्यमियों के लिए व्यवसाय की सुगमता भी उपलब्ध होगी।

चर्चा का जवाब देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री ठाकुर ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है और ऐसे समय में लाया गया है जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ से 100वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्वर्णिम काल में हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले।

क्योंकि यह विधेयक 1867 में अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह लेगा। अंग्रेज शासक प्रेस पर नियंत्रण के लिए यह कानून लाये थे।’’ उन्होंने कहा कि पुराने कानून में छोटी-मोटी गलतियों को एक अपराध मान कर जेल में डालने या अन्य दंड का प्रावधान था लेकिन नए विधेयक में इसे खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं।

विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों के अनुसार इसके जरिये 1867 में लाये गये मूल कानून में संशोधन किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सरकार प्रेस की आजादी को मान्यता देते हुए इसके कामकाज को सरल एवं बाधा रहित बनाना चाहती है। इसमें पत्र-पत्रिकाओं के नाम एवं पंजीकरण की प्रक्रिया को आनलाइन बनाने का प्रावधान है।

इसके तहत अब मुद्रकों को जिलाधिकारी या स्थानीय अधिकारियों के समक्ष घोषणापत्र देने की अनिवार्यता को समाप्त करने का प्रावधान है। विधेयक में औपनिवेशिक युग के कुछ नियम उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाते हुए उनके स्थान पर अर्थदंड तथा भारतीय प्रेस परिषद के प्रमुख की अध्यक्षता में विश्वस्त अपील तंत्र कायम करने का प्रावधान है। इसमें विदेशी पत्र-पत्रिकाओं के भारत में प्रतिकृति संस्करण के लिए सरकार से पूर्वानुमति लेने को अनिवार्य बनाने का भी प्रावधान किया गया है।

राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें दलाली पर रोक लगाने एवं कानूनी पेशे के नियमन को बेहतर बनाने के लिए प्रावधान किए गए हैं। विधेयक पर चर्चा से पहले विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया।

विधेयक के कारणों और उद्देश्य के अनुसार 1961 के अधिवक्ता कानून में संशोधन किया जाएगा। इसमें विभिन्न न्यायालयों में दलालों की सूची बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार उच्च न्यायालय, जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश और प्रत्येक राजस्व अधिकारी (जिलाधिकारी के रैंक से कम नहीं होना चाहिए) समुचित जांच के बाद दलालों की सूची बना सकेंगे।

इसमें यह भी कहा गया कि जिस व्यक्ति का नाम दलालों की सूची में डाला जाएगा, उससे पहले संबंधित व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि ऐसे दलालों की सूची प्रत्येक अदालत में लगायी जाएगी। किसी व्यक्ति का नाम दलालों की सूची में आने पर उसे तीन माह तक की सजा या 500 रूपये का अर्थदंड या दोनों लगाये जा सकते हैं।

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