हिंदू पक्ष के वकील रहे पारासरन का घर होगा राम मंदिर ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय, जानिए क्या है मामला

By भाषा | Published: February 5, 2020 08:44 PM2020-02-05T20:44:12+5:302020-02-05T20:44:12+5:30

1983 से 1989 तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में अपनी सेवा दी। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग-1 सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया तथा उन्हें उच्च सदन के लिए भी मनोनीत किया।

Parasaran, the lawyer of the Hindu side, will be the home of the registered office of Ram Mandir Trust, know what is the matter | हिंदू पक्ष के वकील रहे पारासरन का घर होगा राम मंदिर ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय, जानिए क्या है मामला

पारासरन के तीन पुत्र-मोहन, सतीश और बालाजी भी अधिवक्ता हैं। 

Highlightsतमिलनाडु के श्रीरंगम में 1927 में जन्मे पारासरन के पिता केशव अयंगर अधिवक्ता और वैदिक विद्वान थेमद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस की।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का पंजीकृत कार्यालय जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भारत के अटॉर्नी जनरल रहे के. पारासरन के दिल्ली स्थित घर में होगा।

पारासरन ने अयोध्याराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी। ट्रस्ट के पते का उल्लेख केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना में किया गया। अधिसूचना में कहा गया, ‘‘...‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ नाम से एक ट्रस्ट का पंजीकरण इसके पंजीकृत कार्यालय आर-20, ग्रेटर कैलाश, पार्ट-1, नयी दिल्ली, 110048 के साथ हुआ है।’’

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार यह पारासरन का आवासीय पता है। अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में पारासरन हिन्दू पक्षों की ओर से अग्रणी अधिवक्ता थे। उन्होंने ‘रामलला विराजमान’ के पक्ष में उच्चतम न्यायालय में समूची विवादित भूमि के अधिग्रहण के लिए सफलतापूर्वक दलीलें रखीं।

पारासरन की आयु 92 साल है। उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसे अपने समक्ष आए सभी मामलों में ‘‘पूर्ण न्याय’’ करना चाहिए और यह उनकी अंतिम इच्छा है कि उनके मरने से पहले मामला खत्म हो जाए। पांडित्य निपुण हिन्दू विद्वान पारासरन अपनी दलीलों में प्राय: हिन्दू धर्म ग्रंथों से उदाहरण देते थे।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल ने पारासरन को भारतीय बार का पितामह करार देते हुए कहा था कि उन्होंने अपने ‘धर्म’ से समझौता किए बिना कानून में अगाध योगदान दिया। पारासरन ने 1958 में शीर्ष अदालत में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी।

आपातकाल के दौरान वह तमिलनाडु के महाधिवक्ता थे और 1980 में उन्हें भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उन्होंने 1983 से 1989 तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में अपनी सेवा दी। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग-1 सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया तथा उन्हें उच्च सदन के लिए भी मनोनीत किया।

तमिलनाडु के श्रीरंगम में 1927 में जन्मे पारासरन के पिता केशव अयंगर अधिवक्ता और वैदिक विद्वान थे जिन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस की। पारासरन के तीन पुत्र-मोहन, सतीश और बालाजी भी अधिवक्ता हैं। 

Web Title: Parasaran, the lawyer of the Hindu side, will be the home of the registered office of Ram Mandir Trust, know what is the matter

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