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जानिए जूना अखाड़े का इतिहास जिससे जुड़े थे पालघर मॉब लिंचिंग के शिकार साधु

By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 21, 2020 18:43 IST

सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा माना जाता है जहां साधुओं की संख्या 4 लाख से भी ज्यादा है। इनमें नागा साधु भी बड़ी संख्या में हैं। इस वक्त आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जूना अखाड़े के प्रमुख हैं।

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ठळक मुद्देजूना अखाड़े की स्थापना 1145 ईसवी में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में हुई थी।श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है

महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस घटना में मारे गए साधु कल्पवृक्षगिरि महाराज और सुशील गिरि महाराज जूना अखाड़े से जुड़े हुए थे। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये अखाड़ा क्या होता है?

दरअसल, हिंदू धर्म में संतो महंतो को कई अखाड़ों में बांटा गया है।  माना जाता है कि इसकी स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने जिन सात अखाड़ों की स्थापना की थी उनके नाम हैं- महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाहन, अग्नि और आनंद अखाड़ा। धीरे-धीरे अखाड़ों की संख्या बढ़ती रही और मौजूदा वक्त में 13 अखाड़े अस्तित्व में हैं।

इन सभी अखाड़ों में कुल मिलाकर करीब 13 लाख संत-महंत हैं। सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा माना जाता है जहां साधुओं की संख्या 4 लाख से भी ज्यादा है। इनमें नागा साधु भी बड़ी संख्या में हैं। इस वक्त आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जूना अखाड़े के प्रमुख हैं। साल 1998 में उनकी इस पद पर नियुक्ति हुई थी। 

जूना अखाड़े की स्थापना 1145 ईसवी में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में हुई थी। फिलहाल इसका केंद्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हनुमान घाट पर है। श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार भगवान दत्तात्रेय हैं। 

इस अखाड़े के नागा साधु जब शाही स्नान के लिए बढ़ते हैं, तो मेले में आए श्रद्धालुओं समेत पूरी दुनिया उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए जहां की तहां रुक जाती है। इस समय अखाड़े में दर्जन से अधिक की संख्या में महामंडलेश्वर हैं, जिनकी शोभा यात्रा कुंभ मेले की शान होती है और उसे भव्यता और दिव्यता प्रदान करती है।

जूना अखाड़ा पिछले वर्ष भी चर्चा में आया था जब एक दलित संन्यासी को महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था। इसके अलावा प्रयागराज कुंभ में इस बार किन्नरों को भी जूना अखाड़े में मान्यता दी गई। इस खबर से भी जूना अखाड़ा काफी चर्चित हुआ था।

आइए, अब आपको बताते हैं कि अब क्यों चर्चा में आया है जूना अखाड़ा?

17 अप्रैल को जूना अखाड़े के संत कल्पवृक्षगिरि और सुशील गिरि एक ड्राइवर के साथ मुंबई के कांदीवली से निकले। उन्हें एक साधु की समाधि शामिल होने के लिए गुजरात के सूरत जाना था। लेकिन मुंबई से सटे पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में एक भीड़ ने उन्हें घेर लिया। बच्चा चोर की अफवाह पर तीनों लोगों को भीड़ ने बेतहाशा पीटा। घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं जहां पुलिस वालों के सामने भीड़ साधुओं को बर्बरता से पीट रही है। बाद में अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।

पालघर मॉब लिंचिंग मामले में अब तक 110 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस कस्टडी में लेकर सभी से पूछताछ की जा रही है। मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश दे दिए गए हैं। इसके अलावा वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। साथ ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद आंदोलन की भी धमकी दी।

टॅग्स :पालघर
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