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भारतीय बॉर्डर में घुसा पाकिस्तानी ड्रोन, BSF अलर्ट पर, सर्च ऑपरेशन जारी

By स्वाति सिंह | Updated: October 8, 2019 13:19 IST

पंजाब के फिरोजपुर में हुसैनीवाला बॉर्डर पर भारत-पाक सीमा की चेक पोस्ट एच के टॉवर के पास पाकिस्तान की ओर पांच बार ड्रोन उड़ता देखा गया। इस घटना के बाद से बीएसएफ जवान अलर्ट पर हैं और सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।

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ठळक मुद्देड्रोन का आविष्कार कई साल पहले ही हो गया था।बीएसएफ जवान अलर्ट पर हैं और सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।

भारतीय बॉर्डर पर मंगलवार को एक बार फिर पाकिस्तान की ओर आते ड्रोन को पकड़ा गया। पंजाब के फिरोजपुर में हुसैनीवाला बॉर्डर पर भारत-पाक सीमा की चेक पोस्ट एच के टॉवर के पास पाकिस्तान की ओर पांच बार ड्रोन उड़ता देखा गया।

इस घटना के बाद से बीएसएफ जवान अलर्ट पर हैं और सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। बीएसएफ ने इस बात की जानकारी पंजाब पुलिस को दी है। इसके बाद से स्थानीय पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। ख़बरों कि मानें तो भारतीय सीमा पर यह सोमवार रात करीब 5 बार उड़ते हुए दिखे। 

ड्रोन की बनावट और कामड्रोन में  4 रोटर जिसे पंखे भी कह सकते हैं। नॉर्मली ड्रोन में 4 पंखे होते हैं लेकिन कई ऐसे ड्रोन हैं जिसमें ज्यादा या कम पंखे होते हैं। ड्रोन अपने इन्हीं पंखों या रोटर की मदद से उड़ता है।

सबसे पहले रोटर में लगी पत्तियां हवा को नीचे ढकेलती जिसके चलते ड्रोन ऊपर उठ के उड़ने लगता है। जैसे की मान लें हमारे पास चार पंखे वाला ड्रोन है तो इसमें 2 क्लॉकवाइज़ घूमेंगी और जो बाकी बची दो हैं वो एंटी-क्लॉकवाइज़ जिससे एयर प्रेशर कंट्रोल किया जा सके।

ड्रोन को स्टेबल रखने के लिए रोटर same पावर के साथ घूमते हैं। example के लिए अगर ड्रोन को आगे की तरफ उड़ाना है तो उसके आगे के दोनों रोटर कम तेजी से घूमते हैं लेकिन पीछे के दोनों रोटर पूरी तेजी के साथ घूमते हैं और ड्रोन को एक तरह से आगे की ओर धक्का देते हैं।

ड्रोन का इतिहासड्रोन का आविष्कार कई साल पहले ही हो गया था। हालांकि शुरूआत में यह ड्रोन ऐसा नहीं था। सबसे पहले साल 1849 की है आस्ट्रिया में एक पॉयलट रहित ड्रोन बनाया गया था। उस टाइम कैमरे के लिए नहीं सिर्फ बम फैंकने के लिए ड्रोन बनाया गया था। ये एक गुब्बारा था जो हवा में उड़ता और बम फेंकता। ये बम ज्यादा खतरनाक नहीं थे लेकिन इसके बाद इस टेक्निक से ड्रोन की शुरूआत कर दी। इसके बाद साल 1915 में निकोला टेस्ला ने एक मानव रहित लड़ाकू विमान बनाया था। उसे भी आधुनिक ड्रोन का आधार माना जाता है।

ड्रोन को सबसे बड़े लेवल पर बनाने और इस्तेमाल करने का पहला मामला तब सामने आया जब दूसरे विश्व युद्ध में यूएसए ने 15 हजार ड्रोन बनाकर इस्तेमाल किया था। मैरीलिन मोनरोए नाम के व्यक्ति ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी।

पुराने समय में सिर्फ युद्ध, सेना, बॉर्डर आदि में ही ड्रोन इस्तेमाल होने लगा था। लेकिन इसके बाद 1987 में ड्रोन का इस्तेमाल एग्रीकल्चर में भी आ गया जब याम्हा कंपनी ने फसलों में दवा छिड़कने के लिए एक ड्रोन तैयार कर दिया। इस दौरान यह ड्रोन सिर्फ जापान में ही उड़ रहा था लेकिन 2015 में अमेरिका ने भी अपने देश में ड्रोन उड़ाने की परमिशन जारी कर दी।

ड्रोन के प्रकारड्रोन के दो प्रकार के हैं जिसमें एक है समान्य drone और दूसरा advance drone, भारत में ड्रोन सबसे बेहद है, बिना कैमरे वाले ड्रोन की कीमत 1500 से शुरू हो जाती है। वही, कैमरे वाले ड्रोन की कीमत 5000 से शुरू हो जाती है ये सभी समान्य ड्रोन हैं जो आप ऑनलाइन शॉपिंग साईट पर आसानी से मिल सकते हैं। लेकिन एडवांस ड्रोन के इस्तेमाल की परमिशन हमे नहीं हैं। क्योंकि वो देश की सुरक्षा से जुड़े होते है।

भारत में ड्रोन चलाने की इजाजत नहीं है लेकिन अगर आप कोई वीडियो शूट करना चाहते हैं या पब्लिक प्लेस का शूट करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए पुलिस या सरकारी अधिकारी से इजाजत लेनी होगी।  हालांकि आपकी पर्सनल प्रॉपर्टी में ड्रोन उड़ाने में कोई मनाही नहीं है।

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