पेगासस स्पाईवेयर की पूरी कहानी, रिपोर्ट में दावा इन लोगों की हुई जासूसी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 19, 2021 17:54 IST2021-07-19T16:20:55+5:302021-07-19T17:54:16+5:30
पेगासस स्पाईवेयर के जरिए कई लोगों की जासूसी का सरकार पर आरोप। लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद'

पेगासस ग्रीक मायथोलॉजी में पंखों वाले घोड़े को कहते हैं, इजराइली सॉफ्टवेयर ने अपनी कंपनी का लोगो भी इसे ही बनाया है।
योगेश सोमकुंवर
इजरायली स्पाईवेयर, पेगासस एक बार फिर सुर्खियों में है। इससे पहले 2019 में यह स्पाईवेयर चर्चा में आया था, इसे लेकर संसद में विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोंक झोंक भी देखी गई थी। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। जिन लोगों की जासूसी की गई हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया हैं कि सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जिन लोगों की जासूसी की उनमें पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया है।
सरकार की दलील, 'देश में किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं'
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि पेगासस से संबंधित रिपोर्ट में कई भ्रामक बातें की गई हैं। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है। भारत में एक स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से ही सभी नियम-कायदों के अनुसार ही निगरानी की जाती हैं।
Any form of illegal surveillance isn't possible with checks & balances in our laws &robust institutions. In India, there's a well-established procedure through which lawful interception of electronic communication is carried out for purpose of national security: IT Minister in LS pic.twitter.com/KL7mIjIvWe
— ANI (@ANI) July 19, 2021
When we look at this issue through the prism of logic, it clearly emerges that there is no substance, whatsoever, behind this sensationalism: Electronics and Information Technology Minister Ashwini Vaishnaw, in Lok Sabha, on 'Pegasus Project' media report pic.twitter.com/fGBHQL3kUr
— ANI (@ANI) July 19, 2021
फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित गैर लाभकारी मीडिया संस्थान Forbidden Stories और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस के डेटाबेस तक पहुंच बनाई। बाद में यह डेटाबेस, इन दोनों संस्थाओं ने 'पेगासस प्रोजेक्ट ' के तहत दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के साथ जांच के लिए साझा किया। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में कुल 180 पत्रकारों की जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया, इनमें से 49 भारतीय पत्रकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार 49 भारतीय पत्रकारों के अलावा 3 विपक्ष के नेता, 2 मंत्री और 1 संवैधानिक पद कर बैठे व्यक्ति की भी इस स्पाइवेयर की मदद से जासूसी की गई।
इन पत्रकारों पर निगरानी रखने का सरकार पर आरोप
रिपोर्ट में दावा किया हैं कि जासूसी के लिए निशाना बनाए गए पत्रकारों में दिल्ली के पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा हैं। जिनमें हिंदुस्तान टाइम्स के एक्जीक्यूटिव एडिटर शिशिर गुप्ता, एडिटोरियल पेज एडिटर प्रशांत झा, रक्षा संवाददाता राहुल सिंह और पूर्व में कांग्रेस कवर करने वाले संवाददाता औरंगजेब नक्शबंदी शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इंडियन एक्सप्रेस अखबार समूह की संवाददाता ऋतिका चोपड़ा, पूर्व संवाददाता सुशांत सिंह, कश्मीर पर लिखने वाले मुजामिल जलील की भी जासूसी की गई हैं। पेगासस स्पाइवेयर के तहत इंडिया टुडे समूह के रक्षा संवाददाता संदीप उन्नीथन, टीवी 18 के सुरक्षा मामलों के संपादक मनोज गुप्ता और द हिंदू की विजेता सिंह पर भी सरकार द्वारा नजर रखने का दावा रिपोर्ट में किया गया हैं।
रिपोर्ट में कहा गया हैं कि द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु के भी मोबाइल फोन पर फोरेंसिक जांच में पेगासस स्पाइवेयर के सबूत मिले हैं। कई स्वतंत्र पत्रकार, रोहिणी सिंह, स्वाति चतुर्वेदी, प्रेम शंकर झा, संतोष भारतीय और ईपीडब्ल्यू के पूर्व संपादक प्रांजय गुहा ठाकुरता के अलावा मोदी सरकार से लगातार तीखे सवाल करने वाले पंजाबी पत्रकार भूपिंदर सज्जन और जसपाल हेरन का भी नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।
2G केस का खुलासा करने वाले पत्रकार जे गोपीकृष्णनन के अलावा जेएनयू के छात्र उमर खालिद की भी जासूसी का दावा किया गया हैं।
WhatsApp प्रमुख ने की Pegasus पर रोक लगाने की मांग
पेगासस इससे पहले भी कई बार सुर्खियों में रहा है। 2019 में WhatsApp ने पेगासस को बनाने वाली कंपनी पर मुकदमा भी किया था। WhatsApp के प्रमुख विल कैथकार्ट ने इस मामले में कहा कि NSO का यह स्पाइवेयर कई प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में इस्तेमाल किया जाता रहा हैं, इस पर तुरंत रोक लगाने की आवश्कता हैं।
This groundbreaking reporting from @Guardian, @WashingtonPost, and many others demonstrates what we and others have been saying for years: NSO’s dangerous spyware is used to commit horrible human rights abuses all around the world and it must be stopped.https://t.co/dMD0wKjceF
— Will Cathcart (@wcathcart) July 18, 2021
पेगासस बनाने वाली कंपनी NSO का दावा, 'केवल सरकारों को बेचा जाता है स्पाईवेयर'
पेगासस एक स्पाईवेयर है, जिसे इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी NSO ने तैयार किया हैं। स्पाईवेयर, जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर को कहा जाता हैं। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। पेगासस सबसे पहले 2016 में तब सुर्खियों में आया था जब UAE के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर ने अपने फोन पर आए लिंक्स की साइबर एक्सपर्ट्स से जांच करवाई थी। जांच में खुलासा हुआ कि अहमद अगर मैसेज में भेजी लिंक पर क्लिक करते तो उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता।
पेगासस को बनाने वाली कंपनी NSO का कहना है कि वो किसी निजी कंपनी को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही इस्तेमाल के लिए देती है। इसका मतलब है कि अगर भारत में इसका इस्तेमाल हुआ है, तो कहीं न कहीं सरकार या सरकारी एजेंसियां इसमें शामिल हैं।
2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था। तब व्हाट्सएप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी। इस खबर को लेकर उस वक्त भी संसद में काफी हंगामा हुआ था।