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LAC पर देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे जवान सीमा पर डटकर खड़े हैं: राजनाथ सिंह

By भाषा | Updated: September 17, 2020 13:42 IST

राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में साझा रूप से चिन्हित वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों पक्षों की समझ अलग-अलग है।

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ठळक मुद्देराजनाथ सिंह ने कहा कि हमने चीन को राजनयिक तथा सैन्य माध्यमों के जरिये यह अवगत करा दिया कि इस प्रकार की गतिविधियां, स्थिति को यानी यथास्थिति को एक तरफा बदलने का प्रयास है।रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन, भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है।इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित सीमा समझौते के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है।

नयी दिल्ली: लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में चीन की सेना के साथ गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत शांतिपूर्ण तरीके से सीमा मुद्दे के हल के लिए प्रतिबद्ध है और हमने राजनयिक एवं कूटनीतिक माध्यम से पड़ोसी देश को बता दिया है कि यथास्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा।

राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर राज्यसभा में दिये अपने बयान में कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं, हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत तथा चीन दोनों ने औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए संयम की आवश्यकता है तथा इस मुद्दे का उचित, व्यवहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान, शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के द्वारा निकाला जाए।’’

राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में साझा रूप से चिन्हित वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों पक्षों की समझ अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि इसलिए शांति बहाल रखने के वास्ते दोनों देशों के बीच कई तरह के समझौते और प्रोटोकॉल हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘ हमने चीन को राजनयिक तथा सैन्य माध्यमों के जरिये यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियां, स्थिति को यानी यथास्थिति को एक तरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ मैंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करना चाहते हैं और चीनी पक्ष इस पर हमारे साथ काम करे। लेकिन किसी को भी भारत की सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा को लेकर हमारी प्रतिबद्धता पर रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन, भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित सीमा समझौते के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। सिंह ने अप्रैल के बाद से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के हालात और सीमा पर शांति के लिए कूटनीतिक तथा सैन्य स्तर पर किये गये प्रयासों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का प्रश्न अभी अनसुलझा है और दोनों पक्ष मानते हैं कि सीमा जटिल मुद्दा है तथा शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये इसका समाधान निकाला जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ 1993 और 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देश अपनी अपनी सेनाओं के सैनिकों की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भी शामिल है कि जब तक सीमा मुद्दे का पूर्ण समाधान नहीं हो जाता है, तब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख्ती से सम्मान किया जाएगा।’’  

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