चेन्नई, 20 सितंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह शहर में एक मंदिर की संपत्तियों पर किरायेदारों/पट्टा धारकों के रूप में अवैध रूप से कब्जा करने वाले सभी लोगों को तुरंत बेदखल करे और हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग तथा मंदिर के उन अधिकारियों से राजस्व हानि की वसूली करे, जिन्होंने किरायेदारों / पट्टा धारकों के साथ मिलीभगत की थी।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने पिछले सप्ताह के सेंथिलकुमार की एक रिट याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने बताया कि एमटीएच रोड पर स्थित 3,227 वर्ग फुट भूमि विल्लीवाक्कम के श्री अगस्तेश्वर स्वामी मंदिर से संबंधित है, जो उनके पूर्वज को सौंपी गई थी। उन्होंने लगभग 30 साल पहले मंदिर का निर्माण किया था। याचिकाकर्ता ने 2011 में अपने नाम पर पंजीकृत संपत्ति का सब-रजिस्ट्रार ने अधिग्रहण किया। जैसे ही मंदिर ने बेदखली की कार्यवाही शुरू की, उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की।
न्यायाधीश ने याचिका का निपटारा करते हुए पर्यटन, संस्कृति एवं बंदोबस्ती विभाग और एचआर एंव सीई को सभी पहलुओं में बेदखली की कार्यवाही को पूरा करने और संपत्तियों का कब्जा लेने का निर्देश दिया। साथ ही एचआर एंड सीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इस मामले के तुरंत निपटारे की हिदायत दी।
अदालत ने कहा कि वे मंदिर को हुए वित्तीय नुकसान का आकलन करने के लिए जांच करेंगे। साथ ही मंदिर को हुए वित्तीय नुकसान की वसूली के लिए संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सभी उचित कार्रवाई शुरू करेंगे।
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