पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद राजद के भीतर असंतोष का ज्वालामुखी फटने को तैयार है। ऐसे में सियासी गलियारों में ‘ऑपरेशन तीर’ की चर्चाएं जोरों पर हैं। चर्चा है कि राज्यसभा चुनाव 2026 में राजद टूटने वाली है। यह दावा जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार ने किया है। उन्होंने दावा किया है कि राजद के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। नीरज कुमार ने कहा कि राज्यसभा की पांचों सीटें एनडीए के खाते में जाएंगी। महागठबंधन के पास प्रस्तावक की संख्या भी नहीं बचेगी। राजद की मुश्किलें सिर्फ पार्टी के भीतर ही नहीं, बल्कि लालू परिवार के अंदर भी बढ़ी हुई हैं। हाल ही में लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी के करीबियों पर गंभीर आरोप लगाकर परिवार के भीतर की कलह को सार्वजनिक कर दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि परिवार की अंदरूनी टकराहट और चुनाव में मिली हार ने विधायकों को सुरक्षित भविष्य की तलाश करने पर मजबूर कर दिया है। अगले साल अप्रैल में बिहार से खाली हो रही राज्यसभा की पांच सीटों पर चुनाव होना है। नीरज कुमार ने दावा किया है कि राज्यसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के पास प्रस्तावक की संख्या भी नहीं बचेगी।
उन्होंने कहा कि।प्रस्तावक तो चाहिए, और प्रस्तावक उनसे सहमत होगा तब ना, उनकी पार्टी का विधायक बहुत बेचैनी में है.’दावा किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव की पार्टी के कम से कम 18 विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के संपर्क में हैं और जल्द ही लालटेन का साथ छोड़कर तीर थाम सकते हैं। नीरज कुमार के दावे में कितना दम है यह तो राज्य सभा चुनाव के वक्त ही पता चलेगा।
फिलहाल राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 41 विधायकों की दरकार होगी और महागठबंधन के पास फिलहाल 35 विधायक ही हैं। नीरज कुमार के दावे पर कांग्रेस और राजद के नेताओं ने जोरदार पलटवार किया है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि महागठबंधन और राजद के विधायक बिल्कुल एकजुट हैं।
आपकी बेचैनी तेजस्वी जी के ही इर्द-गिर्द घूमती है और तेजस्वी फोबिया के शिकार आप हैं। उन्होंने कहा कि उनके विधायक एकजुट हैं और एनडीए केवल अपनी विफलताएं छिपाने के लिए इस तरह की अफवाहें फैला रहा है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने कहा कि नीरज जी पहले यह बताएं कि राज्यसभा चुनाव तक उनकी पार्टी बचेगी।
अरे महाराज चुनाव के पहले आपकी पार्टी खत्म होने जा रही है। उधर, भाजपा भी इस मुद्दे पर जदयू के सुर में सुर मिला रही है। भाजपा विधायक इंजीनियर शैलेंद्र ने कहा कि नीतीश कुमार के विकास मॉडल से प्रभावित होकर विपक्ष के कई माननीय सदस्य एनडीए का हिस्सा बनना चाहते हैं। राजद की स्थिति पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राजद अब नेतृत्वविहीन पार्टी बन चुकी है।
चुनाव हारते ही तेजस्वी यादव विदेश चले गए, जबकि उनके विधायक यहाँ हताश और निराश हैं। नेतृत्व की इसी कमी के कारण राजद में भगदड़ तय है। इस बीच राजद के कुछ नताओं की मानें तो राजद के विधायकों का एक बड़ा गुट नेतृत्व से बेहद नाराज है।
विधायकों की नाराजगी की मुख्य वजह तेजस्वी यादव का व्यवहार और उनके करीबी संजय यादव का पार्टी पर बढ़ता दबदबे बताया जा रहा है। फिलहाल ‘खरमास’ (अशुभ समय) चल रहा है, इसलिए दावों के मुताबिक पाला बदलने की यह प्रक्रिया रुकी हुई है। नए साल के शुरुआती महीनों में बिहार की राजनीति में एक बड़ा धमाका होने के संकेत मिल रहे हैं।