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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे ऑनलाइन समाचार पोर्टल और ओटीटी प्लेटफॉर्म

By भाषा | Updated: November 11, 2020 22:06 IST

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नयी दिल्ली, 11 नवंबर केन्द्र सरकार ने नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और अमेजन प्राइम सहित सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म, समाचार और समसामयिकी से जुड़ी सूचना देने वाले सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने का फैसला करते हुए उसे डिजिटल स्पेस के लिये नीतियों और नियमों का विनियमन करने का अधिकार सौंप दिया है।

इससे पहले तक देश में डिजिटल सामग्री के विनियमन के लिए कोई कानून या स्वायत प्राधिकार मौजूद नहीं था। लेकिन अब डिजिटल समाचार वेबसाइट सहित सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म सरकार के नियमों और नियमन के दायरे में आएंगे।

मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा मंगलवार की रात को जारी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।

अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड (3) के तहत प्रदत शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार (कार्य आवंटन) नियमावली, 1961 में संशोधन करके ऐसा किया गया है।

इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध समाचार, दृश्य श्रव्य कार्यक्रमों और फिल्मों से संबंधित नीतियों को विनियमित करने का अधिकार मिल गया है। इसके तहत विदेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी प्लस हॉटस्टार और देश में विकसित सोनीलिव, डिजिटल समाचार वेबसाइट भी आएंगे। इसके तहत द वायर और स्क्रॉल जैसे वेबसाइट भी आएंगे, जो अक्सर सरकार की आलोचना करते नजर आते हैं।

मीडिया से जुड़े अनुभवी लोगों का कहना है कि देश में डिजिटल मीडिया पहले से ही संविधान के ढांचे तहत रहते हुए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून और अन्य कानूनों से विनियमित है।

हालांकि, पत्रकारों, डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े लेखकों, निर्देशकों और ओटीटी पर सामग्री उपलब्ध कराने वालों ने अधिसूचना को लेकर निराशा जताते हुए कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है की मंत्रालय का नियमन कैसा होगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वह इस संबंध में बृहस्पतिवार को विस्तार से बताएंगे। उनसे बुधवार को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस संबंध में सवाल पूछा गया था।

गौरतलब है कि सरकार के इस फैसले से करीब एक महीने पहले उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें एक स्वायत प्राधिकार द्वारा ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन का अनुरोध किया गया था।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘इस नियमावली को भारत सरकार (कार्य आवंटन) 357वां संशोधन नियमावली, 2020 कहा जाएगा। ये तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।’’

उसमें कहा गया है, ‘‘भारत सरकार कार्य आवंटन नियमावली, 1961 में दूसरी अनुसूची में सूचना और प्रसारण शीर्षक के तहत प्रविष्टि 22 के बाद निम्न उप शीर्षक और प्रविष्टियों को जोड़ा जाये। ये हैं- 5 ए. डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया। 22 ए. ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध फिल्म और दृश्य श्रव्य कार्यक्रम। 22 बी. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर समाचार एवं समसामयिकी से संबंधित सामग्री।’’

एम एक्स प्लेयर के मुख्य कार्याधिकारी करण बेदी ने कहा कि वह स्व-नियमन की दिशा में प्रयासों को क्रियान्वित करने के लिए मंत्रालय के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं।

बेदी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जिम्मेदार कंटेंट क्रिएटर की तरह हम चाहते हैं कि यह कदम न सिर्फ प्रसारित की जा रही सामग्री की प्रकृति का संज्ञान ले, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि हम इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में रचनात्मकता की रक्षा कर सकें।’’

संपर्क करने पर अन्य कई ओटीटी प्लेटफॉर्म ने इस संबंध में टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है, लेकिन फिल्मकारों ओर लेखकों ने अपनी राय खुलकर जाहिर की।

लेखकों और निर्देशकों का कहना है कि ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के निर्णय से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंटेंट क्रिएटरों को नुकसान हो सकता है तथा इससे निर्माताओं और यहां तक कि दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए कंटेट क्रिएट करने वाले हंसल मेहता, रीमा कागती आदि ने अपने विचार रखे।

अमेजन प्राइम वीडियो पर आए शो ‘मेड इन हैवेन’ में जोया अख्तर और अलंकृता श्रीवास्तव के साथ मिलकर काम करने वाली कागती का कहना है, ‘‘वैश्विक मंच पर प्रतिद्वंद्विता में यह भारतीय कंटेंट क्रिएटरों के लिए नुकसानदेह साबित होगा... मुझे इसके कानूनी असर का पता नहीं है। अभी इसके बारे में बात करना जल्दबाजी होगी। हमें इंतजार करना चाहिए और आशा करना चाहिए कि जो भी दिशा-निर्देश या नीति आने वाली है उससे चीजें स्पष्ट होंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अभी तक सेंसर को लेकर कुछ नहीं कहा गया है, सिर्फ इतना कहा गया है है कि यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आ रहा है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि ‘ए’ (वयस्क) प्रमाणपत्र मिलने के बावजूद क्रिएटर्स से कई सीन काटने को कहा जाता है।

‘स्कैम 1992’ के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कदम रखने वाले मेहता का कहना है कि फैसला अप्रत्याशित नहीं था लेकिन यह निराशाजनक है।

मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने का यह प्रयास सही नहीं है। मैं बहुत निराश हूं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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