भारत में ओमीक्रोन से फरवरी में कोरोना की आएगी तीसरी लहर, पर कब तक मिलेगी राहत, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक
By विनीत कुमार | Published: December 22, 2021 07:59 AM2021-12-22T07:59:13+5:302021-12-22T08:07:48+5:30
भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में आ सकती है। इसके पीछे ओमीक्रोन वेरिएंट मुख्य वजह होगा। वैसे वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि एक महीने में ही मामलों में तेजी से कमी आ जाएगी।
नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर अगले साल फरवरी में चरम पर रह सकती है। वैज्ञानिकों के अनुमानों के अनुसार हालांकि ओमीक्रोन की वजह से मामलों में आने वाली तेजी दूसरी लहर की तुलना में हल्के रहने की संभावना है। साथ ही एक महीने में मामलों में तेजी से कमी आने की संभावना होगी।
देश में COVID-19 संक्रमण की गति को ट्रैक करने वाले 'सूत्र मॉडल' के अनुसार दैनिक केस आने वाले दिनों में बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही अनुमानों से संकेत मिलता है कि अप्रैल तक मामले काफी कम हो जाएंगे और मई तक ये गिरकर वर्तमान स्तर पर पहुंच जाएंगे।
'सूत्र मॉडल' IIT-हैदराबाद के एम विद्यासागर और IIT-कानपुर के मनिंद्र अग्रवाल द्वारा बनाया गया था। दोनों राष्ट्रीय COVID-19 सुपरमॉडल समिति के सदस्य भी हैं। विद्यासागर ने पिछले हफ्ते न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया था कि भारत में अगले साल की शुरुआत में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। साथ ही ये भी कहा गया था कि इसके दूसरे लहर के मुकाबले कम खतरनाक रहने की संभावना है।
ओमीक्रोन: एक दिन में डेढ़ से दो लाख के बीच आएंगे केस
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार जानकार बताते हैं कि भारत में दूसरी लहर के दौरान एक दिन में डेढ़ लाख से 1 लाख 80 हजार के बीच केस नजर आ सकते हैं। मनिंद्र अग्रवाल ने दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां मामलों में तीन हफ्तों में तेजी से वृद्धि हुई पर उसमें अब कमी आने लगी है।
दक्षिण अफ्रीका में हर दिन औसतन नए केस 15 दिसंबर को बढ़कर 23 हजार तक पहुंच गए थे और अब ये 20 हजार से कम हो गए हैं। मृतकों की संख्या अभी भी दोहरे अंक में है और अभी बढ़ रही है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के आंकड़े भारत के लिए कुछ बेहतर उम्मीद पैदा करते हैं।
हालांकि, ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर जो चीज अभी भी अज्ञात है, वह ये कि यह किस हद तक इम्यूनिटी को मात दे सकता है। बता दें कि ओमीक्रोन के बारे में पहली बार नवंबर में दक्षिण अफ्रीका में पता चला था। यह तब से कम से कम 90 देशों में फैल गया है और अब यह अमेरिका और कुछ अन्य देशों में प्रमुख वेरिएंट बन गया है।