ओली : वामपंथी छात्र नेता से सत्ता के शीर्ष तक का सफर

By भाषा | Updated: May 10, 2021 19:33 IST2021-05-10T19:33:54+5:302021-05-10T19:33:54+5:30

Oli: The journey from left student leader to the top of power | ओली : वामपंथी छात्र नेता से सत्ता के शीर्ष तक का सफर

ओली : वामपंथी छात्र नेता से सत्ता के शीर्ष तक का सफर

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 10 मई नेपाल के वयोवृद्ध वामपंथी नेता केपी शर्मा ओली जब 2018 के संसदीय चुनाव में वाम गठबंधन की भारी जीत के बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश में आवश्यक राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद की थी लेकिन उनकी अपनी कोशिशों से यह संभव न हो सका।

सत्तारूढ़ नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में खींचतान के बाद ओली द्वारा आश्चर्यजनक रूप से दिसंबर में संसद को भंग करने की अनुशंसा से देश एक बार फिर राजनीतिक संकट में चला गया और पार्टी टूट गई।

ओली किशोरावस्था में ही छात्र कार्यकर्ता के रूप में राजनीति से जुड़े थे और राजशाही का विरोध करने की वजह से 14 साल तक जेल में रहे। वह वर्ष 2018 में वाम गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

सीपीएन (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नीत सीपीएन (माओवादी केंद्र) ने वर्ष 2017 के चुनाव में प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल करने के साथ-साथ सात में छह प्रांतों भी जीत दर्ज की थी। दोनों पार्टियां का मई 2018 में औपचारिक रूप से विलय हो गया था।

चीन की ओर झुकाव रखने वाले 69 वर्षीय ओली इससे पहले 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे, तब भारत के साथ नेपाल के रिश्तों में तल्खी थी।

पहले कार्यकाल में ओली ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना करते हुए नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और उनकी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्होंने दूसरे कार्यकाल में आर्थिक समृद्धि के लिए भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ने का वादा किया था।

दूसरे कार्यकाल में भी ओली ने दावा किया कि उनकी सरकार द्वारा देश के मानचित्र में रणनीतिक रूप से अहम भारत के हिस्सों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को दिखाने के बाद उन्हें सत्ता से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। इस घटना से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।

ओली का जन्म 22 फरवरी 1952 को पूर्वी नेपाल के तेरहाथुम जिले में हुआ था । वह मोहन प्रसाद और मधुमाया ओली के बड़े बेटे हैं। मां की चेचक से मौत होने के बाद उनकी परवरिश दादी ने की थी।

ओली नौवीं कक्षा में स्कूल छोड़ राजनीति में शामिल हो गए। हालांकि बाद में उन्होंने जेल में रहने के दौरान इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उनकी पत्नी रचना शाक्या भी वाम कार्यकर्ता हैं और दोनों की मुलाकात पार्टी गतिविधियों के दौरान हुई थी।

ओली ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत 1966 में तत्कालीन राजा के निर्देश पर अधिनायकवादी पंचायत व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के साथ की थी।

वह फरवरी 1970 में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद वह भूमिगत हो गए। उसी साल पहली बार पंचायती सरकार द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया।

ओली ने वर्ष 1974 में झापा बगावत का नेतृत्व किया जिसमें जिले के जमींदारों के सिर काटे गए।

वह नेपाल के उन कुछ नेताओं में है जिन्होंने कई साल जेल में बिताए हैं। वह वर्ष 1973 से 1987 तक लगातार 14 साल जेल में रहे।

ओली जेल से रिहा होने के बाद यूएमएल की केंद्रीय समिति के सदस्य बने और 1990 तक लुम्बिनी क्षेत्र के प्रभारी रहे।

वर्ष 1990 में लोकतांत्रिक आंदोलन से पंचायत राज का अंत हुआ और ओली देश में लोकप्रिय नाम बन गया।

ओली वर्ष 1991 में प्रजातांत्रिक राष्ट्रीय युवा संघ के स्थापना अध्यक्ष बने। एक साल बाद वह पार्टी के प्रचार विभाग के प्रमुख बने और उन्होंने खुद को नेपाल की राजनीति में स्थापित किया।

वर्ष 1991 में वह पहली बार झापा से प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाचित हुए। वह 1994 से 1994 तक गृहमंत्री रहे। वह वर्ष 1999 में झापा दो निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए

वर्ष 2006 के गिरिजा प्रसाद कोइराला की सरकार में वह उप प्रधानमंत्री रहे।

ओली चार फरवरी 2014 को द्वितीय संविधान सभा में पार्टी अध्यक्ष झाला नाथ खनाल को हराकर सीपीएन-यूएमएल के नेता निर्वाचित हुए।

जुलाई 2016 में अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया जिससे साथ ही उनकी नौ महीने पुरानी सरकार का पतन हुआ था।

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