ओडिशा: डॉक्टरों की भारी कमी का सामना कर रहे अस्पताल, फार्मासिस्टों को कुछ रोगों की दवाएं लिखने की मंजूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 23, 2021 04:54 PM2021-09-23T16:54:18+5:302021-09-23T16:54:18+5:30
ओडिशा सरकार लंबे समय से डॉक्टरों की कमी का सामना कर रही है. डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए इससे पहले सरकार ने उनकी रिटायरमेंट उम्र बढ़ा दी थी और केबीके (कालाहांडी-बालनगिर-कोरापुत) क्षेत्र में नवनियुक्त डॉक्टरों की नियुक्ति अनिवार्य कर दी थी और उन्हें बाकी क्षेत्रों के डॉक्टरों की तुलना में अधिक सैलरी दी जाती है.
भुवनेश्वर: विभिन्न कारणों से ओडिशा में डॉक्टरों की भारी कमी हो गई है जिसको देखते हुए सरकार ने फार्मासिस्टों को 12 बीमारियों की दवाएं प्रिस्क्राइब करने की मंजूरी दे दी है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा सरकार लंबे समय से डॉक्टरों की कमी का सामना कर रही है.
राज्य स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव सुभनंदा मोहपात्रा ने कहा कि 8,729 स्वीकृत पदों की तुलना में, फिलहाल हमारे पास 7,443 डॉक्टर हैं, जिनमें संविदा चिकित्सक और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रतिनियुक्त पद पर कार्यरत हैं.
वहीं दूरदराज के जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हालात और अधिक खराब हैं.
डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए इससे पहले सरकार ने उनकी रिटायरमेंट उम्र बढ़ा दी थी और केबीके (कालाहांडी-बालनगिर-कोरापुत) क्षेत्र में नवनियुक्त डॉक्टरों की नियुक्ति अनिवार्य कर दी थी और उन्हें बाकी क्षेत्रों के डॉक्टरों की तुलना में अधिक सैलरी दी जाती है. यही नहीं सरकार ने अन्य राज्यों के मेडिकल ग्रेजुएट्स को ओडिशा में सेवा देने के लिए मौजूदा सेवा नियमों को भी बदल दिया.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कहा कि राज्य के कई एकमात्र डॉक्टर वाले अस्पतालों का प्रबंधन फार्मासिस्टों द्वारा किया जाता है. बिना किसी विशिष्ट सरकारी आदेश के फार्मासिस्टों को मरीजों के इलाज के लिए सौंपे गए और उनके द्वारा इलाज की जाने वाली बीमारियों की सूची के बिना उक्त अस्पतालों का प्रबंधन करना मुश्किल है.
हालांकि, फार्मासिस्ट ऐसी दवाएं नहीं लिख सकते जो मुफ्त दवा आपूर्ति योजना निरामया में उपलब्ध नहीं हैं. सरकारी आदेश में खास बीमारियों की दवाओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है.