जयललिता की मौत पर संदेह जताने वाले ओ पनीरसेल्वम जांच आयोग के सामने पलटे, बोले- 'अम्मा की सामान्य मृत्यु पर कोई शक नहीं है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 22, 2022 08:59 PM2022-03-22T20:59:04+5:302022-03-22T21:09:56+5:30

तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत पर संदेह जताने वाले ओ पन्नीरसेल्वम ने जांच कमेटी के सामने कहा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से अम्मा (जयललिता) की मौत पर कोई संदेह नहीं था जबकि अन्य लोगों के मन में उनकी मौत को लेकर संदेह था और मैंने केवल उन लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया था।

O Panneerselvam, who cast doubt on Jayalalithaa's death, turns before the Commission of Inquiry, says- 'No doubt on Amma's normal death' | जयललिता की मौत पर संदेह जताने वाले ओ पनीरसेल्वम जांच आयोग के सामने पलटे, बोले- 'अम्मा की सामान्य मृत्यु पर कोई शक नहीं है'

जयललिता की मौत पर संदेह जताने वाले ओ पनीरसेल्वम जांच आयोग के सामने पलटे, बोले- 'अम्मा की सामान्य मृत्यु पर कोई शक नहीं है'

Highlightsमरीना बीच स्थित जयललिता की समाधी पर पन्नीरसेल्वम ने उनकी मौत को लेकर कई आरोप लगाए थे75 दिनों के चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती रहीं जयललिता से मिलने की अनुमति नहीं मिली थीउन्होंने अपोलो अस्पताल से जयललिता को इलाज के लिए विदेश ले जाने के लिए भी कहा था

चेन्नई: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक पार्टी के कोऑर्डिनेटर ओ पनीरसेल्वम ने मंगलवार को जस्टिस अरुमुगासामी कमेटी के सामने पेश होकर कहा कि अम्मा (जयललिता) की मौत प्राकृतिक थी और उन्हें मौत पर कोई संदेह नहीं है। जबकि साल 2017 में जयललिता की मृत्यु के बाद सबसे पहले शंका व्यक्त करते हुए ओ पनीरसेल्वम ने जांच की मांग की थी।

आश्चर्यजनक तौर पर आज आयोग के सामने पेश हुए ओ पनीरसेल्वम ने एक बड़ा राजनीतिक मोड़ लेते हुए कहा है कि उन्हें अम्मा की उनकी मृत्यु पर कोई संदेह नहीं है।

इसके साथ ही उन्होंने कमेटी के सामने यह भी कहा कि वीके शशिकला या उनके परिवार द्वारा जयललिता की मौत के संबंध में कोई साजिश नहीं रची गई थी। इस मामले में जस्टिस अरुमुगासामी कमेटी ने ओ पनीरसेल्वम से करीब छह घंटे तक पूछताछ की।

तमिलनाडु के राजनीतिक हलके में इसे बहुत बड़े अचंभे के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह पन्नीरसेल्वम ही थे, जिन्होंने जयललिता की मौत के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते हुए पहली बार 8 फरवरी, 2017 को जयललिता की मृत्यु की न्यायिक जांच की घोषणा की थी।

चेन्नई के मरीना बीच पर बनी जयललिता की समाधी पर ध्यान लगाने के बाद पन्नीरसेल्वम ने कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा ता कि 75 दिनों के चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उन्हें जयललिता से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी, जबकि उन्होंने अपोलो अस्पताल से सीएम जयललिता को इलाज के लिए विदेश ले जाने के लिए कहा था। अगस्त 2017 में अन्नाद्रमुक सरकार ने दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग की घोषणा की थी।

हालांकि मंगलवार को घटनाओं के एक अजीब मोड़ ले लिया जब पन्नीरसेल्वम ने कहा, "मुझे व्यक्तिगत रूप से अम्मा (जयललिता) की मौत पर कोई संदेह नहीं था जबकि अन्य लोगों के मन में उनकी मौत को लेकर संदेह था और मैंने केवल उन लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया था।"

एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान जब उनसे उनके बयान के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने शशिकला के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की थी तो उन्होंने कहा कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तीन वरिष्ठ मंत्रियों को जयललिता के ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) वेंटिलेटर को हटाने से पहले उन्हें देखने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल अपोलो अस्पताल आए और उन्हें देखे बिना चले गए जब वह वेंटिलेटर पर थीं।

इससे पहले सोमवार को पन्नीरसेल्वम ने कमेटी के सामने बयान दिया था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि जयललिता को किस वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें जयललिता के किसी अन्य बीमारी का भी नहीं पता था, सिवाय इसके कि उन्हें मधुमेह था। पन्नीरसेल्वम ने कहा कि उन्हें तमिलनाडु के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर के माध्यम से जयललिता के स्वास्थ्य के बारे में अपडेट मिलता था।

मालूम हो कि जयललिता को 22 सितंबर 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित होने के बाद लंबे समय तक अस्पताल में रहीं जयललिता का 5 दिसंबर को निधन हो गया था। उस साल पन्नीरसेल्वम के मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद बने सीएम पलानीस्वामी ने 17 अगस्त को जयललिता की मृत्यु की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था।

कमेटी की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 2019 को रोक लगा दी थी, जब अपोलो अस्पताल ने जांच के दायरे को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर दी थी। इसके बाद 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग पर लगी रोक हटा ली और मामले में फिर से जांच शुरू हुई।

इस जांच में दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों का एक पैनल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुआ। अपोलो अस्पताल के दस डॉक्टर और एक तकनीकी सहायक पहले ही जस्टिस अरुमुगासामी कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक कमेटी की जांच अपने अंतिम चरण में हैं और जांच रिपोर्ट के जल्द सौंपे जाने की संभावना है। 

Web Title: O Panneerselvam, who cast doubt on Jayalalithaa's death, turns before the Commission of Inquiry, says- 'No doubt on Amma's normal death'

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