राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी असंवैधानिक, देश में ठोस शरणार्थी नीति की जरूरत : कानूनविद कृष्णा शर्मा

By भाषा | Published: December 22, 2019 12:32 PM2019-12-22T12:32:12+5:302019-12-22T12:32:12+5:30

संशोधित नागरिकता कानून की गजट अधिसूचना में अभी इसके लागू होने की तारीख नहीं दी गई है । इसी के आधार पर संभवत: उच्चतम न्यायालय में इस पर अंतरिम रोक नहीं लगी क्योंकि अभी नियम भी नहीं बने हैं ।

NRC unconstitutional at national level, concrete refugee policy needed in the country Krishna Sharma | राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी असंवैधानिक, देश में ठोस शरणार्थी नीति की जरूरत : कानूनविद कृष्णा शर्मा

फाइल फोटो

Highlightsराष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की है, यह असंवैधानिक प्रस्ताव है, कानून सम्मत नहीं है असम के बड़े हिस्से को छोड़कर पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं हो रहा है ।

नागरिकता संशोधन कानून और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी. (एनआरसी) का देश के विभिन्न हिस्सों में भारी विरोध हो रहा है । हालांकि सरकार का कहना है कि किसी भी ‘भारतीय को नागरिकता संशोधन कानून’ या एनआरसी से डरने की जरूरत नहीं है । इस मुद्दे पर देशभर में जारी बहस के बीच वरिष्ठ अधिवक्ता एवं उच्चतम न्यायालय में असम सरकार की पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता कृष्णा शर्मा ने ‘‘देश में ठोस शरणार्थी नीति’’ बनाये जाने की वकालत की ताकि संविधान सम्मत तरीके से इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकाला जा सके ।

पेश है, इस विषय पर वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णा शर्मा से ‘‘भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब :-

सवाल : नागरिकता संशोधन कानून और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी के बीच क्या कोई संबंध हैं ?

दोनों को एक साथ जोड़कर देखना कितना उचित है ? जवाब : दोनों को असम में एनआरसी के अनुभव से उत्पन्न आशंकाओं के कारण एक साथ जोड़कर देखा जा रहा है। असम में एनआरसी के बाद काफी संख्या में ऐसे लोग सूची से बाहर हो गए, जो पश्चिम बंगाल से आए थे । इनमें से बड़ी संख्या हिन्दुओं की थी । इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून आया । ऐसी परिस्थिति में लोगों में यह आशंका घर कर गई कि इन्हें नागरिकता देने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी आयेगा जिसका निशाना एक खास समुदाय के लोग हो सकते हैं । किसी भी स्थिति में अखिल भारतीय स्तर पर एनआरसी नहीं लाया जाना चाहिए । ऐसी कोई पहल असंवैधानिक होगी । इससे अवैध घुसपैठ की समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सकता जैसा की सरकार दावा कर रही है ।

सवाल : मौजूदा परिस्थिति में नागरिकता संशोधन कानून कितना प्रासंगिक है । क्या देशभर में एनआरसी लागू करने के प्रस्ताव का कोई ठोस आधार है ?

जवाब : नागरिकता संशोधन कानून को एक तरह से एनआरसी को आगे बढ़ाने की कवायद के तहत लाया गया लगता है । इसके अलावा इसका कोई आधार नहीं है क्योंकि असम के बड़े हिस्से को छोड़कर पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं हो रहा है । जहां तक देशभर में एनआरसी लागू करने के आधार का सवाल है, इस बारे में मेरा कहना है कि असम में वर्षो से अवैध रूप से आए लोगों का मुद्दा केंद्र में रहा लेकिन इनकी संख्या कभी सामने नहीं आई । गृह मंत्री के रूप में इंद्रजीत गुप्ता के समय एक आंकड़ा आया जबकि उसके बाद श्री प्रकाश जायसवाल के समय दूसरा आंकड़ा आया । असम में आज भी तमाम कवायद के बावजूद इनकी संख्या स्पष्ट नहीं हुई । जब एक राज्य में आंकड़े सुलझ नहीं रहे, सामने नहीं आ रहे... तब देशभर में इसे लागू करने पर अव्यवस्था ही फैलेगी ।

सवाल : एनआरसी लागू करने में सबसे बड़ी बाधा या समस्या क्या है ?

जवाब : अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि एनआरसी के तहत देश के नागरिक के रूप में पुष्टि के लिये कौन कौन से दस्तावेज वैध माने जायेंगे । अभी तक जो बात सामने आई है, उसके मुताबिक लोगों को करीब एक दर्जन दस्तावेज देने होंगे । ऐसे में एक गरीब एवं अनपढ़ व्यक्ति ऐसी जटिलताओं से कैसे निपटेगा । अवैध घुसपैठियों एवं शरणार्थियों की पहचान के लिये क्या मापदंड तैयार किये गए हैं ? सरकार को इन सभी बातों पर स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है ।

सवाल : सीरिया एवं पश्चिम एशिया के देशों में गृह युद्ध की स्थिति के बाद जर्मनी एवं कुछ यूरोपीय देशों में शरणार्थियों से जुड़ी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है । क्या भारत को इस अनुभव से सीख लेनी चाहिए ?

जवाब : यह सही है कि सीरिया से यूरोप के कुछ देशों में लोगों का पलायन हुआ है, शरणार्थियों से जुड़े कुछ मसले उत्पन्न हुए हैं । लेकिन हमें यह ध्यान देने की जरूरत है कि भारत की ‘‘कोई शारणार्थी नीति नहीं’’ है । भारत ने ऐसे किसी अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है । ‘‘ हमें तत्काल ‘एक ठोस शरणार्थी नीति’ की जरूरत है ।जब श्रीलंका से लोग पलायन करके आए थे, तब सरकारी आदेश पर उन्हें राहत दी गई थी । 1950 में ‘नेहरू लिकायत समझौता’ और उसके बाद 1971 में शेख मुजीबुर्ररहमान के दौरान भी तब उत्पन्न परिस्थितियों के कारण आए लोगों का ध्यान रखा गया था । लेकिन शरणार्थी नीति नहीं बनी ।

सवाल : क्या संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी न्यायिक विवेचना पर खरा उतरेगी ?

जवाब : संशोधित नागरिकता कानून की गजट अधिसूचना में अभी इसके लागू होने की तारीख नहीं दी गई है । इसी के आधार पर संभवत: उच्चतम न्यायालय में इस पर अंतरिम रोक नहीं लगी क्योंकि अभी नियम भी नहीं बने हैं । जहां तक बात राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की है, यह असंवैधानिक प्रस्ताव है, कानून सम्मत नहीं है और इसे देशभर में नहीं लागू किया जाना चाहिए । 

Web Title: NRC unconstitutional at national level, concrete refugee policy needed in the country Krishna Sharma

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