अहमदाबादः गुजरात के मंत्री अरविंद रैयानी का जंजीरों से खुद को कोड़े मारने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। इस वीडियो के माध्यम से लोग उनपर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि मंत्री ने कहा कि उनके इस कृत्य को अंधविश्वास कहना गलत है।
दरअसल मंत्री अरविंद रैयानी गुरुवार को राजकोट में एक धार्मिक सभा में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने परंपरा के मुताबिक खुद को कोड़े मारे। इसका वीडियो सामने आया तो मंत्री की आलोचना हुई। जिसपर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने आत्म-दंड की कार्रवाई की जो देवता की पूजा का एक हिस्सा होता है। मंत्री ने कहा, "मैं बचपन से ही देवता का कट्टर भक्त रहा हूं। मेरा परिवार हमारे पैतृक गांव में इस तरह की धार्मिक सभाओं का आयोजन करता है। बकौल मंत्री- ''आप इसे (मेरे कृत्य) अंधविश्वास नहीं कह सकते। हम सिर्फ अपने देवता की पूजा कर रहे थे।"
भाजपा नेता ने कहा कि आस्था और अंधविश्वास के बीच एक पतली रेखा है। वहीं गुजरातकांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने उनकी कार्रवाई को अवैज्ञानिक और एक ओझा जैसी हरकत बताते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मंत्री इस तरह की अवैज्ञानिक चीजें करके अंधविश्वास फैला रहे हैं। दोशी ने कहा, "मंत्री होने के बावजूद रैयानी इस तरह की अवैज्ञानिक हरकतें कर अंधविश्वास फैला रहे थे। वह एक ओझा की तरह अंधविश्वास फैला रहे थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग गुजरात सरकार में मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं।"
उधर गुजरात भाजपा के प्रवक्ता याग्नेश दवे ने मंत्री का बचाव ये कहते हुए किया कि कांग्रेस को आस्था और अंधविश्वास के बीच के अंतर को समझने की जरूरत है। दवे ने कहा, "यह किसी की व्यक्तिगत धार्मिक आस्था का मामला है। एक पतली रेखा है जो आस्था और अंधविश्वास को अलग करती है। हर किसी के पास अपने देवताओं की पूजा करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। पारंपरिक अनुष्ठानों को अंधविश्वास नहीं कहा जाना चाहिए। कांग्रेस को धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचना चाहिए।"