अब नहीं रहेंगे टोल प्लाजा, फिर भी हाईवे पर चलने के लिए देने होंगे पैसे, जानें कैसे करेगा पूरा सिस्टम काम

By वसीम क़ुरैशी | Published: August 24, 2021 08:21 AM2021-08-24T08:21:31+5:302021-08-24T08:21:31+5:30

टोल प्लाजा से अक्सर बचकर चलने वालों को भी अब हाईवे के इस्तेमाल पर पैसे देने होंगे। इसके लिए जीपीएस बेस्ड टोलिंग सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है।

No toll plazas yet money will have to be paid on highway know about GPS tolling system | अब नहीं रहेंगे टोल प्लाजा, फिर भी हाईवे पर चलने के लिए देने होंगे पैसे, जानें कैसे करेगा पूरा सिस्टम काम

नहीं रहेंगे टोल प्लाजा, फिर भी हाईवे पर चलने के लिए देने होंगे पैसे (फाइल फोटो)

Highlightsनए जीपीएस बेस्ड टोलिंग सिस्टम की हो रही है व्यवस्था, टोल फीस से बचना होगा मुश्किल।ये सिस्टम प्रायोगिक तत्व पर फिलहाल दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर लागू है।वाहनों में लगे फास्टैग कार्ड के जरिए ही जीपीएस बेस्ड टोलिंग होगी और पैसे खुद कट जाएंगे।

नागपुर: शहर से 30-40 किमी की दूरी पर मौजूद टोल नाकों से बचते हुए भीतरी सड़कों का इस्तेमाल करते हुए चलने वाले वाहन अब किसी भी सूरत में टोल अदा करने से नहीं बच पाएंगे. ये जितनी दूरी तक हाईवे का उपयोंग करेंगे उन्हें उतरा ही टोल अदा करना होगा. नए प्रस्तावित जीपीएस बेस्ड टोलिंग सिस्टम में ऐसी ही व्यवस्था रहेगी. फिलहाल ये सिस्टम प्रायोगिक तत्व पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर क्रियान्वित है.

सूत्रों के अनुसार नागपुर शहर में भी शहर के चारों ओर शहर सीमा के शुरूआती हिस्सों पर गेंट्री लगाई जाएगी. टोल प्लाजा के बजाय संशोधित डिजाइन के साथ इन्हें तैयार किया जाएगा. इनमें कैनोपी नहीं होगा. नया सिस्टम लागू होने के बाद टोल प्लाजा पर कोई कर्मचारी नजर नहीं आएगा.

इसके अलावा टोल प्लाजा से कैश ले जाने के लिए कोई सिक्योरिटी वैन भी दिखाई नहीं देगी. एनएचएआई के नागपुर रीजन के अंतर्गत 27 टोल हैं. अब पहले की तरह कहीं कोई टोल प्लाजा नहीं बनाए जाएंगे. नए सिस्टम से टोल नाकों पर होने वाली आर्थिक अनियमितता की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. 

यहां ठेकेदार और उसके कर्मचारियों का कोंई काम ही नहीं रहेगा. सारी रकम डिजिटली ट्रांसफर होंने के बाद एनपीसी के जरिए ठेकेदारों कों उनके खाते में उनका हिस्सा चला जाएगा.

टोल फीस के लिए ऐसे काम करेगा सिस्टम

वाहनों में लगे फास्टैग कार्ड के जरिए ही जीपीएस बेस्ड टोलिंग होगी. किसी चौपहिया वाहन के हाईवे पर आते ही सिस्टम उसके को-ऑडिनेट्स (सटीक स्थिति) पकड़ लेगा और वाहन जितनी दूरी तक हाईवे पर चलेगा, उसके फास्टैग अकाउंट से संबंधित मार्ग की टोल की दरों के हिसाब से टोल की रकम का डिजीटली भुगतान हो जाएगा. 

बताया जा रहा है कि इस सिस्टम में ये चार्ज एक से दो रुपए प्रति किलोमीटर तक हो सकता है. इस संबंध जब एनएचएआई के नागपुर क्षेत्रीय अधिकारी राजीव अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विदर्भ में 98 फीसदी वाहनों में फास्टैग लग चुका है.

जीपीएस बेस्ड टोंलिंग नीतिगत मसला है. इस कारण इस विषय में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है. मुख्यालय से जैसे निर्देश प्राप्त होंगे उस आधार पर कार्य किया जाएगा.

Web Title: No toll plazas yet money will have to be paid on highway know about GPS tolling system

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