स्थानीय प्राथमिकी में ईडी अफसरों को कोई अंतरिम राहत न दी जाए: प.बंगाल सरकार ने अदालत से कहा

By भाषा | Updated: December 7, 2021 21:13 IST2021-12-07T21:13:49+5:302021-12-07T21:13:49+5:30

No interim relief should be given to ED officers in local FIR: West Bengal government to court | स्थानीय प्राथमिकी में ईडी अफसरों को कोई अंतरिम राहत न दी जाए: प.बंगाल सरकार ने अदालत से कहा

स्थानीय प्राथमिकी में ईडी अफसरों को कोई अंतरिम राहत न दी जाए: प.बंगाल सरकार ने अदालत से कहा

नयी दिल्ली, सात दिसंबर पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह इस बात का आश्वासन नहीं दे सकती कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और उन्हें अंतरिम राहत दिए जाने का विरोध किया।

पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर के समक्ष कहा कि उन्होंने शुरू में एक रुख लिया था कि इस मामले में कुछ नहीं होगा, प्राथमिकी में जांच अब एक महत्वपूर्ण चरण में है और अधिकारियों के राज्य पुलिस के समक्ष बार-बार पेश नहीं होने के कारण ऐसे संकेत गया है कि वे “जांच से बच रहे हैं।”

यह बयान उन न्यायाधीश के समक्ष दिया गया जो केंद्रीय जांच एजेंसी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें प्राथमिकी पर उसके अधिकारियों के खिलाफ जारी नोटिस रद्द करने की मांग की गई है।

न्यायाधीश ने कहा कि वह मामले को जनवरी में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे और पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल के वकील यह बयान देंगे कि “सुनवाई की अगली तारीख तक, कुछ नहीं होगा।”

पश्चिम बंगाल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, “इससे पहले, मैंने कहा था कि कोई सम्मन, आदि (जारी नहीं किया जाएगा) … हम एक संक्षिप्त सारांश दाखिल करेंगे। साक्ष्य फाइल में पर्याप्त सामग्री है। अब मुद्दा यह है कि कुछ अधिकारियों ने खुद को कैसे संचालित किया... अगर मैं वह बयान दे सकता, तो मैंने दे दिया होता। अदालत एक आदेश पारित कर सकती है।”

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि चूंकि प्राथमिकी की विषय वस्तु “छेड़छाड़” की गई एक क्लिप थी जिसे विधानसभा चुनाव के समय एक समाचार चैनल द्वारा चलाया गया था, इसलिए ईडी अधिकारियों के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।

ईडी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अमित महाजन ने तर्क दिया कि प्राथमिकी केवल शिकायतकर्ता (बनर्जी) के खिलाफ कथित कोयला घोटाला मामले में चल रही जांच को पटरी से उतारने और “इसके परिणाम को बदलने” के लिए दर्ज की गई थी।

उन्होंने कहा, “आप किसी व्यक्ति की जांच के आदेश पर जो कुछ भी आप चाहते हैं उसे पंजीकृत नहीं कर सकते हैं। क्या आप चाहते हैं कि हम अपना कर्तव्य निभान से रोके दें?… क्या आप अधिकारियों को परेशान और धमका सकते हैं? वे भागने वाले नहीं हैं।” वकील ने दावा किया कि “चार-पंक्ति” प्राथमिकी में ईडी अधिकारियों के खिलाफ कोई आरोप नहीं है और यह (प्राथमिकी) अस्पष्ट है।

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Web Title: No interim relief should be given to ED officers in local FIR: West Bengal government to court

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